'वादों के नाम पर सिर्फ जुमलेबाजी कर रही पक्ष-विपक्ष', युवा आक्रोश रैली पर बोली जनता

‘वादों के नाम पर सिर्फ जुमलेबाजी कर रही पक्ष-विपक्ष’, युवा आक्रोश रैली पर बोली जनता

झारखंड
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झारखंड में व्यापक अनियमितता, भ्रष्टाचार और सरकार के वादा खिलाफी के खिलाफ 23 अगस्त को भाजपा युवा आक्रोश रैली निकाली जाएगी. इस रैली में भाजपा ने युवाओं को हेमंत सरकार के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लेने का आह्रवाहन किया है. बीजेपी का आरोप है कि हेमंत सरकार ने झारखंडियों को मुंगेरीलाल के सपने दिखाकर, उनपर वादों की बौछार कर लोगों को ठगने का काम किया है. विभिन्न परीक्षाओं में घोटाले कर युवाओं का हक मारा है हेमंत सरकार नौकरी विरोधी सरकार बनकर रह गई है. सरकार की गलत नीतियों के कारण आंगनबाड़ी सेविका, सहायक पुलिसकर्मी सड़क पर आ गई है.

हेमंत सोरेन ने जनता के साथ वादाखिलाफी किया है

हेमंत सरकार कई वादों के साथ सत्ता में आई थी, पांच लाख नौकरी का वादा, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था. अनुबंध पर कार्यरत अनुबंधकर्मी को स्थायी करने की बात भी कही थी. हेमंत सोरेन ने कहा था उनके सरकार में आते ही अनुबंध शब्द सदा के लिए खत्म हो जाएगा. ये बात हेमंत ने चुनावी मजलीशों में की थी. लेकिन सरकार में आने के बाद इन्होंने कोई काम नहीं किया. राज्य के युवाओं के सपनों, भविष्य को हेमंत सरकार ने बर्बाद करने का काम किया है. हेमंत की सरकार में Jpsc, jssc की जितनी भी परीक्षाएं कंडक्ट कराई गई, वह सभी परीक्षाएं विवादों से घिरे रही. सभी को किसी न किसी कारण से रद्द करना पड़ा. कुछ परीक्षा पीटी के बाद रद्द किया गया, वहीं कुछ परीक्षाओं की नियुक्तियां लटका दी गई.

बीजेपी ने सरकार को काम करने से रोका

वहीं, सत्ता रुढ़ की ओर से विपक्ष पर सफाई दी गई है. विपक्ष के आरोपों पर हेमंत सरकार ने कहा है कि उनके पांच साल के कार्यकाल में 2 साल कोरोना कल में बीत गया, बाकि बचे 3 वर्षों में बीजेपी ने हमारी सरकार को काम नहीं करने दिया, कभी मिशन लोटस के तहत विधायकों को खरीदने की कोशिश की, तो कभी सरकार गिराने की कोशिश की. जब इन सब से बात नहीं बनी तो उन लोगों ने मुझे देश के स्वतंत्र एजेंसी ED को मेरे खिलाफ लगा दिया. बिना किसी आरोप के जमीन घोटाले मामले में( जो जमीन ना तो खरीदी जा सकती है और ना ही बेची जा सकती है) मुझे जेल भेज दिया गया. मेरे जेल रहते हुए विपक्ष कई बार हमारी विधायकों को खरीदने और सरकार गिराने की कोशिश की. इस दौरान उन्होंने मेरे परिवार की बड़ी बहू और मेरे बड़े भैया दुर्गा सोरेन की पत्नी मेरी मां समान सीता भाभी को मेरे खिलाफ भड़काकर अपने पाले में कर लिया. मेरे जेल में रहते हुए ऐसे कई षड्यंत्र भाजपा ने रची. लेकिन मेरी सरकार और पार्टी उनके षड्यंत्रों से डरने वाली नहीं है. ना और ना ही झुकने वाली है. हमारी पार्टी संघर्ष और आंदोलन की उपज है, और ऐसे षड्यंत्रकारी को हमारी पार्टी जवाब देना जानती है. और ऐसे षड्यंत्रकारियों के खिलाफ लड़ते हुए हमारी सरकार ने राज्य की 3.5 करोड़ आबादी के जन आकांक्षाओं के अनुकूल काम करने का प्रयास की है.

झारखंड सरकार ने कई योजनाओं को लागू किया

झारखंड के लोगों के जरूरत के अनुसार दर्जनों महत्वाकांक्षी योजनाओ को धरातल पर लाई है. बेटियों की शिक्षा के लिए, युवाओं की शिक्षा के लिए, बच्चों की शिक्षा के लिए, फूलों झानों आशीर्वाद योजना, सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना, गरीबों के लिए अगवा आवास योजना( इसके तहत 2027 तक 2 लाक अबुवा आवास बनाने का संकल्प हमारी सरकार ने लिया है. गांव घर की दीदियों, माताओं, बुजुर्गों के लिए सोना, सोबरन, साड़ी धोती योजना, हर राशन कार्ड योजना, मुख्य रोजगार, सृजन योजना, बिरसा हरितग्राम योजना, मुख्यमंत्री पशु धन योजना, साइकिल वितरण योजना, विधवा पेंशन योजना, वृद्धा पेंशन, ओलड पेंशन, मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना लाया है. लोगों तक योजनाओं को पहुंचाने के लिए आपकी योजना-आपकी सरकार-आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जो गांव-गांव तक जाकर लोगों को सरकार की योजनाओं से जोड़ती है.

1932 खतियान को बीजेपी ने लागू करने से रोका

स्थानीय नीति पर हमारी सरकार ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का विधेयक सदन में लेकर आई थी और बहुमत से इस विद्येयक को पारित कर राज्यपाल को भेजा था, लेकिन भाजपा का राज्यपाल होने के नाते इस विद्येयक को कुछ महीने बाद बेवजह यह कहते हुए लौटा दिया जाता है कि इसपर पुनर्विचार करने की जरूरत है. उस वक्त बीजेपी की कोई भी विधायक और सांसद इस पर किसी प्रकार की कोई टीका टिप्पणी नहीं किया, और ना ही भाजपा से किसी प्रकार का सवाल किया. यह विधेयक स्थानीय नीति झारखंड के 3.5 करोड़ आबादी के अस्मिता और पहचान का सवाल है. इसी प्रकार हमारी सरकार सरना धर्म कोड का विधेयक सदन में लेकर आई, इसे भी बहुमत से पारित कर केंद्र को भेजा गया, लेकिन अब तक इस पर भी भाजपा के सांसद, विधायक चुप बैठे हुए हैं. यह लोग केवल और केवल झारखंड को जिस तरह से 18 वर्षों तक चारागाह बनाने का काम किया, यहां की खनिज संपदाओं को लूटने और लूटाने का काम किया, चंद लोगों के हाथों में इस झारखंड प्रदेश को गिरवी रखने का काम किया. ठीक इसी तरह यह लोग झारखंड को गुलाम बनाना चाहते हैं, यह इनकी मानसिकता है. युवा आक्रोश रैली पूंजीपतियों की रैली है , इसका जवाब विधानसभा के चुनाव में झारखंड के लोग देने का काम करेगा. जो झूठ षडयंत्र के बल पर यह लोग सत्ता में आने की कोशिश कर रहे हैं. झारखंड विरोधी विचारधारा के लोगों को यहां के लोग इनका यह सपना कभी पूरा नहीं होने देगी. झारखंड के लोग अब जागरुक हो गए हैं और उन्हें मुंहतोड़ जवाब देगी.

18 साल में बीजेपी ने झारखंडवासियों के लिए क्या किया?

पक्ष-विपक्ष के इस बयानबाजी पर झारखंड में रहने वाले लोगों का बयान सामने आया है. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि झारखंड को बने 24 साल होने वाले है लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष जुमलेबाजी के सिवा कुछ भी नहीं कर रही है 18 साल बीजेपी ने झारखंड में राज किया, इस दौरान उन्हें झारखंड में बढ़ती बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, पलायन नहीं दिखा. सरकार में रहते हुए बीजेपी ने इसपर किसी तरह का कोई काम नहीं किया, सत्ता से बाहर होने के बाद भी वह झारखंडियों के दर्द से बेखबर रही, वहीं झारखंड के विधानसभा चुनाव आते ही बीजेपी को युवाओं का दर्द दिखने लगा है. बढ़ती बेरोजगारी, कैंसल होते एग्जाम, बढ़ता पलायन, जीवन यापन के लिए संघर्ष करती औरतों का दर्द दिखने लगा है. पांच साल तक सत्ता में रहने के बाद हेमंत सरकार ने भी इसपर कोई काम नहीं किया. झारखंड की जनता सरकार की ओर पिछले 24 साल से नजरें टिकटीकाएं हुए है कि कब उन्हें झारखंडी होने का एहसास होगा, कब उन्हें उनकी पहचान मिलेगी. कब उन्हें उनका अधिकार, सम्मान मिलेगा. कब झारखंड में शिक्षा स्तर में सुधार आएगा, कब स्वास्थ्य के स्तर में सुधार आएगा. कब अपने आप को अपने घर में महफूज कर पाऊंगी. जो झारखंड विश्व पटल पर सोने की चिड़िया के तौर पर जानी जाती है, जिस राज्य को प्रकृति ने बड़ी फुर्सत से संवारा है. जहां पर पूरे देश का 44% खनिज संपदा (मिनरल्स का भंडार है, लोहा, कोयला, सरना, अभ्रक इत्यादि) पाया जाता है. कब इन संसाधनों का लाभ हम लोगों को मिल पाएगा. कब हमारे बच्चे अपने ही घर में रहकर अपने परिवार का लालन पालन कर पाएंगे, आखिर कब तक झारखंड पलायन का दंश झेलेगा. कबतक इससे हमलोगों को निजात मिलेगा. 24 सालों से झारखंडियों का सपना-सपना ही रह गया.

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