संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठी की बढ़ती संख्या से वहां की डेमोग्राफी बदल गई है. बीते कुछ सालों में यहां आदिवासियों की संख्या घटी है. पहले जहां आदिवासियों की संख्या 44 प्रतिशत थी जो अब घटकर 28 प्रतिशत हो गई है. घुसपैठियों की लगातार बढ़ती संख्या पर आज झारखंड हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पूरी हो गई है. अदालत ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है. फैसला कब सुनाएगी, इसकी तारीख तय नहीं हुई है. झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने याचिका पर सुनवाई की. सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन के साथ वर्चुलमोड में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल शामिल हुए थे.
घुसपैठियों की पहचान के लिए फैक्ट फाइंडिंग की जरूरत
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर कहा गया कि घुसपैठियों की पहचान के लिए फैक्ट फाइंडिंग बनाने की जरूरत है इसके लिए आगामी 30 सितंबर को केंद्रीय गृह सचिव और राज्य के मुख्य सचिव के बीच बैठक होगी. जिसमें फैक्ट फाइंडिंग के सदस्यों के संबंध में विचार किया जाएगा. केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया जनरल तुषार मेहता ने कहा कि घुसपैठ से जुड़े आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए जा चुके है और उसमें बताया गया है कि कैसे संथाल परगना में आदिवासियों की संख्या कम हो रही है. अंतिम जनसंख्या के आधार पर तैयार आंकड़े कोर्ट में दिए गए है.
विधानसभा चुनाव में फायदे के लिए घुसपैठ का मुद्दा उठा रही सरकार
वहीं दूसरी ओर सरकार का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाला है और केंद्र सरकार घुसपैठियों का मुद्दा राजनीति फायदे के लिए कर रही है. केंद्र की ओर से घुसपैठियों से संबंधित कोई भी आंकड़ा अदालत में शपथ पत्र के माध्यम से पेश नहीं किया गया है.