झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे फेज के लिए चुनाव प्रचार-प्रसार में तेजी आई है. कोल्हान से स्टार प्रचारक कोयलांचल और संथाल शिफ्ट हो गए है. प्रचार-प्रसार में तेजी आई है तो जुबानी जंग में लिमिट के सारे दायरे क्रॉस किए जा रहे हैं. दूसरे चरण में मतदान को लेकर 38 सीटों के लिए 528 प्रत्याशी मैदान में है. जिनमें 148 के ऊपर क्रिमिनल केस दर्ज है वहीं 127 प्रत्याशी करोड़पति है.
दूसरे चरण में 528 मतदाता है मैदान में
झारखंड में दूसरे चरण का चुनाव 20 नवंबर को 38 सीटों पर होगा. इस चुनाव के लिए कुल 528 प्रत्याशी मैदान में है जिनमें 55 महिला और एक थर्ड जेंडर प्रत्याशी है. दूसरे चरण का मतदान राजमहल, बोरियो(एसटी), बरहेट(एसटी), लिट्टीपाड़ा(एसटी), पाकुर, महेशपुर(एसटी), शिकारीपाड़ा(एसटी), नाला, जामताड़ा, दुमका(एसटी), जामा(एसटी), जरमुंडी, मधुपुर, सारठ, देवघर(एससी), पौड़ैयाहाट, गोड्डा, महगामा, रामगढ़, मांडू, धनवार, जमुआ(एससी), गांडेय, गिरिडीह, डुमरी, गोमिया, बेरमो, बोकारो, चंदनकियारी(एससी), सिंदरी, निरसा, धनबाद, झरिया, टुंडी, बाघमारा, सिल्ली और खिजरी(एसटी), बगोदर पर मतदान होंगे.
बीजेपी-जेएमएम के बीच है कड़ा मुकाबला
राजमहल विधानसभा सीट की बात करें तो यहां बीजेपी ओर जेएमएम के बीच टक्कर देखने को मिलेगा. जेएमएम ने जहां एमटी राजा को मैदान में उतारा है तो दूसरी ओर बीजेपी ने अनंत ओझा को टिकट दिया है. राजमहल सीट की बात करें तो इस सीट पर कभी भी जेएमएम नहीं जीत पाई है. झारखंड बंटवारें के बाद से इस सीट की बात करें तो 2005 में कांग्रेस के थॉमस हंसदा की जीत हुई थी जिसके बाद इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हो गया. 2009 के चुनाव में बीजेपी के अरुण मंडल ने जीत दर्ज की. वहीं 2014 और 2019 में इस सीट पर अनन्त कुमार ओझा ने जीत दर्ज की. अनंत ओझा एक बार फिर बीजेपी से चुनावी मैदान में है. 2019 में इस सीट पर बीजेपी ओर आजसू के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली थी. आजसू के मो. ताजुद्दीन को 12372 वोटों से बीजेपी के अनंत ओझा ने हराया था. 2014 के चुनाव में भी मो. ताजुद्दीन का मुकाबला बीजेपी के अनंत ओझा से था. इस चुनाव में ओझा वोट से हारे थें.
मुस्लिमों का राजमहल में है प्रभाव
राजमहल झारखंड विधानसभा के 81 सीटों में एक है यह विधानसभा क्षेत्र जिले के राजमहल और साहेबंगज पुलिस स्टेशनों को कवर करता है. यह क्षेत्र मुस्लिम और आदिवासी बहुल क्षेत्र है. दोनों मतदाता यहां के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. आदिवासी मतदाताओं की संख्या 22 प्रतिशत, अनुसूचित जाति की 4 प्रतिशत, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 45 प्रतिशत, मंडल मतदाताओं की संख्या 12 प्रतिशत, जबकि यादव मतदाताओं की संख्या 4 प्रतिशत है. ग्रामीण मतदाताओं की संख्या 72 प्रतिशत जबकि सहरी मतदाताओं की संख्या 28 प्रतिशत है.
2005 में कांग्रेस की हुई थी जीत
2005 चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में कांग्रेस के थॉमस हांसदा 36472 वोट लाकर विजयीं रहें. तो निर्दलीय प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहें. निर्दलीय प्रत्याशी अरुण मंडल को 25296 वोट मिलें. वहीं बीजेपी के कमल कृष्ण भगत को 21639 वोट मिलें.
2009 में बीजेपी के अरुण मंडल ने दर्ज की थी जीत
2009 विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी के अरुण मंडल ने जीत दर्ज की. अरुण मंडल को 51277 वोट मिलें तो जेएमएम दूसरे नंबर पर रहा. झामुमो के मो ताजुद्दीन को 40874 वोट मिला. तो दूसरे नंबर पर कांग्रेस के थॉमस हांसदा रहें उन्हें 14782 वोट मिला.
पहली बार अनंत ओझा ने दर्ज की थी जीत
2014 के विधानसभा की बात करें तो बीजेपी के अनंत ओझा ने जीत दर्ज की उन्हें कुल 77481 वोट मिलें. तो दूसरे नंबर पर जेएमएम के मो. ताजुद्दीन रहें, जिन्हें 76779 वोट मिलें. तीसरे नंबर पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी बजरंगी प्रसाद यादव को 18866 वोट मिलें.
2019 में फिर बीजेपी की बनी सरकार
2019 के विधानसभा में एक बार फिर बीजेपी के अनंत ओझा को जीत मिली थी उन्हें कुल 88904 वोट मिलें. तो दूसरे नंबर पर आजसू के मो. ताजुद्दीन को 76532 वोट मिलें. तीसरे नंबर पर जेएमएम के केताबुद्दीन शेख रहें जिन्हें 24619 वोट मिलें.