झारखंड में आदिवासियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है आदिवासियों की कम होती जनसंख्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. जिसपर केंद्र सरकार ने चार से छह सप्ताह का समय मांगा है. केंद्र सरकार का कहना है कि कई जांच एजेंसियों को नोटिस जारी किया गया है सभी को अलग-अलग जवाब दाखिल करने में समय लगेगा. जिसके बाद हाईकोर्ट ने 5 सितंबर तक का समय दिया है. पांच सितंबर को इस मुद्दे पर फिर से सुनवाई होगी.
झारखंड में आदिवासी सुरक्षित नहीं
एक्टिंग चीफ जस्टि सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एक राय की अदालत ने कहा कि संथाल प्रांगणा में घुसपैठियों की बढ़ती जनसंख्या और कम होती आदिवासियों की संख्या पर हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की है. गुरुवार को हाईकोर्ट ने इसपर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जल्द जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने कहा कि आदिवासियों की जनसंख्या घटती जा रही है. लेकिन केंद्र सरकार इसपर मौन है. मामले में कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? अंडमान-निकोबार में जैसे ट्राइबल अपने क्षेत्र में किसी को घुसने नहीं देते है, केंद्र सरकार क्या यहां भी वही स्थिति चाहती हैं ? झारखंड का निर्माण आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए हुआ था। लेकिन वक्त के साथ आदिवासियों की संख्या कम होती जा रही है और बंगलादेशी घुसपैठी बढ़ते जा रहे हैं. उनके प्रवेश को रोकने में केंद्र सरकार कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.आइबी 24 घंटे काम करती है, लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठियों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपना जवाब दाखिल नहीं कर पा रही है।
वहीं इस मामले में केंद्र सरकार ने चार सप्ताह का समय मांगा है. कोर्ट ने चार सप्ताह का समय देने से इंकार करते हुए दो सप्ताह का समय दिया है और इस मामले में पांच सितंबर को अगली सुनवाई निर्धारित की है.