झारखंड में सांप्रदायिकता को हवा देने वाले असम सीएम HEC पर चुप क्यों?

‘झारखंड में सांप्रदायिकता को हवा देने वाले असम सीएम HEC पर चुप क्यों?’

झारखंड
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झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने असम के सीएम हेमंता विस्वा सरमा पर जोरदार महला बोला है. बंधु तिर्की ने कहा वह झारखंड में आकर सांप्रदायिकता को हवा दे रहे हैं जो झारखण्ड के लोगों के लिए घातक है. तिर्की ने कहा कि यदि श्री सरमा सहित अन्य भाजपा नेताओं को झारखण्ड और यहाँ के आदिवासियों व मूलवासियों की इतनी ही चिन्ता है तो वे बताएं आदिवासी- मूलवासियों से लूटी गयी ज़मीन उन्हें कब और कैसे वापस मिलेगी ?

हेमंता विस्वा सरमा कहते है कि तथाकथित तांत्रिक बुद्धि को झारखण्ड में नहीं चलने देंगे, सांप्रदायिकता और घुसपैठिया की रट लगाते है परंतु HEC को लेकर कभी कोई बयान नहीं दिया. तिर्की ने कहा की HEC आज बंद होने के कगार पर खड़ी है परंतु हेमंता विस्वा सरमा के मुंह से आज तक इस बारे कोई बयान तक नहीं आया. उल्टा HEC का अकाउंट फ्रीज कर दिया गया है। केन्द्र सरकार के पास झारखण्ड की बकाया 1 लाख 36 हज़ार करोड रुपये की राशि का अविलम्ब भुगतान करने के सन्दर्भ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनाये गये. निर्णय के बाद लम्बा समय बीत चुका है लेकिन केन्द्र सरकार ने इस दिशा में कोई भी कदम नहीं बढ़ाया है.

असम में भी है घुसपैठी

आज राजधानी रांची के मोरहाबादी स्थित अपने आवास पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए तिर्की ने कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात करनेवाले हेमंता विस्वा सरमा को यह बताना चाहिये कि अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान उन्होंने असम से कितने घुसपैठियों को बाहर निकाला ? उन्हें केवल ध्रुवीकरण एवं सांप्रदायिकता के बलबूते झारखण्ड की सत्ता पर काबिज़ होने एवं यहाँ के लोगों या समाज में जहर घोलने से बाज़ जाना चाहिये.

श्री तिर्की ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार की मंईयां सम्मान योजना से घबराकर उल-जुलूल बयान दे रहे हैं और अब उनसे जुड़े लोग ही हाईकोर्ट गये है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि यह योजना अब झारखण्ड की आधी आबादी की पहचान है और अगले 22 सितम्बर को राजधानी के पुराने विधानसभा मैदान में आयोजित सम्मेलन में विभिन्न जिला से आये 10 हजार माताओं, बहनो द्वारा माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आभार व्यक्त किया जाएगा।

बजट में झारखंड के लिए मोदी ने दिया ?

तिर्की ने आगे कहा कि आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक मुद्दे और झारखण्ड के हित में यदि भाजपा नेता इतने ही संवेदनशील हैं तो केन्द्र सरकार के 2024-25 के वित्तीय बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश की तरह झारखण्ड के लिये विशेष प्रावधान क्यों नहीं किया गया, जबकि झारखण्ड को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है ?

जब भाजपा के हाथों में 2014 में सत्ता आयी तो उसने सीएनटी एक्ट में ही संशोधन कर दिया और यदि लोगों का प्रतिरोध ना होता तो झारखण्ड की ज़मीन लूटने में भाजपा पूरी तरीके से सफल हो जाती. उन्होंने कहा कि आज भाजपा के जो नेता झारखण्ड के आदिवासियों और मूलवासियों के साथ ही यहां की ज़मीन और हित के नाम पर घड़ियाली आँसू बहा रहे हैं उनका झारखण्ड की जमीन या यहाँ के लोगों के हितों से कोई भी लेना-देना नहीं है और वे चुनाव के बाद नजर भी नहीं आयेंगे.

हेमंत विस्व सरमा ने आदिवासियों के लिए क्या किया ?

तिर्की ने आगे कहा कि झारखण्ड में आदिवासियों के हितों पर लम्बी-चौड़ी बातें करनेवाले आसाम के मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिये कि उन्होंने स्वयं वहाँ के मुख्यमंत्री के रूप में आदिवासियों के लिये क्या-क्या किया, और कौन से कदम उठाये? उन्होंने याद दिलाया कि झारखण्ड से 150 साल पहले पलायन कर आसाम गये आदिवासियों को वहाँ अबतक एमओबीसी अर्थात अप्रवासी अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है और जनजातीय के रूप में अबतक मान्यता नहीं मिली है जिसके कारण आसाम में बसे झारखण्ड के उन आदिवासियों को न तो आरक्षण का लाभ मिल पा रहा है और ना ही सरकार की लाभकारी योजनाओ का ही.

तिर्की में कहा कि 5 जनवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पलामू एवं गढ़वा में किसानों के हित में उत्तरी कोयल नदी पर मंडल डैम का शिलान्यास किया था लेकिन अबतक वह भी अधूरा है जिससे उन जिलों के किसानों को लाभान्वित करने की योजना आज ठंढे बस्ते पर चली गयी है। भाजपा और उसके नेताओं को आदिवासियों एवं मूलवासियों के लिये धोखेबाज़ बताते हुए तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की धार्मिक-सामाजिक पहचान से जुड़ा सरना धर्मकोड पर हेमंता विस्वा सरमा क्यों नहीं कुछ बोलते. इन्हीं के सरकार द्वारा वन अधिकार कानून 2006 संशोधन किया गया और लूट की खुली छूट दे दिया गया। इन सभी सवालों का जवाब हेमंता विस्वा सरमा को देना चाहिए।

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