रांची: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान, राँची में आयोजित “झारखण्ड आदिवासी महोत्सव-2024” में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि हमारे जनजातीय समुदाय का इतिहास गौरवशाली रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका अद्वितीय रही है। उनकी वीरता और पराक्रम की गाथाएँ भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी। जनजातियों द्वारा संरक्षित कला, संस्कृति, लोक साहित्य और रीति-रिवाज न केवल हमारे देश, बल्कि विश्वभर में ख्यातिप्राप्त हैं। उनका पर्यावरणीय ज्ञान और प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का दृष्टिकोण हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। राज्यपाल ने कहा कि झारखण्ड राज्य की 3.28 करोड़ से अधिक की जनसंख्या में आदिवासी समुदाय का लगभग 27 प्रतिशत हिस्सा है। 32 प्रकार की अनुसूचित जनजातियां यहां रहती हैं। यह समाज हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा है, जिन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान और संस्कृति के माध्यम से हमारे देश की विविधता को और भी समृद्ध किया है।
हालांकि, आज भी हमारे आदिवासी समुदाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर हमें और अधिक काम करने की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे आदिवासी भाई-बहनों को सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिले, और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें।
राज्यपाल ने कहा कि हम सभी को आदिवासी समुदाय की संस्कृति पर गर्व होना चाहिए और इसे संरक्षित रखने का संकल्प लेना चाहिए। मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि आदिवासी समाज में दहेज-प्रथा जैसी कुरीतियां नहीं हैं, जो एक अनुकरणीय उदाहरण है लेकिन विडम्बना है कि जनजातीय समाज में डायन-प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियां आज भी मौजूद हैं, जिसे जागरूक होकर हम सबको दूर करना होगा।