जमीन लूट के खिलाफ आदिवासी संगठनों का 21 जुलाई को धरना

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राजधानी रांची और आस पास के इलाकों में आदिवासी जमीन की लूट, जबरन दखल कब्जा, जमीन माफिया बिल्डर, बिचौलिया दलालों से राजस्व अधिकारियों की मिली भगत और दस्तावेजों में हेराफेरी, पुलिस प्रशासन जमीन माफिया गठजोड़ का दबदबा से लगातार आदिवासी जमीनों की लूट की जा रही है.

हजारों पीड़ित परिवार मुख्यमंत्री, मंत्री और अधिकारियों को आवेदन देकर थक चुके हैं, कईयों ने परेशान हताश होकर आत्महत्या तक कर लिया है बावजूद इसके माफियाओं के ऊपर किसी प्रकार की न तो कार्रवाई होती है न ही उनके ऊपर लगाम लगाने को लेकर सरकार कोई सख्त कानून बनाने की पहल कर रही है. ना सरकार के कानों में जूं रेंगता है.

बैठक करते आदिवासी संगठन के लोग

जिसका नतीजा यह है कि आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन अस्मिता, अस्तित्व, संस्कृति, पहचान तक खतरे में है.ऐसे में विभिन आदिवासी संगठनों ने यह ठान लिया है कि हमें हमारी धरोहर को बचाने के लिए खुद बिरसा मुंडा के तर्ज पर महाविद्रोह करना होगा.

इसी संकल्प के साथ करमटोली स्थित केंद्रीय धमकुडिया भवन रांची में विभिन्न आदिवासी संगठनों का बैठक किया गया.

बैठक में कई संगठनों के अगुआ शामिल हुए. और एक स्वर में कहा सबों ने कहा कि 21 जुलाई को जमीन लूट और वर्तमान हेमंत सरकार के उदासीन रवैया के खिलाफ मोराबादी स्थित बापू वाटिका के सामने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया जाएगा.

उक्त धरना आदिवासी जमीन बचाव के बैनर तले किया जाएगा. बैठक में आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मीनारायण मुंडा, पूर्व विधायक देवकुमार धान, सूरज टोप्पो, बल्लू उरांव, फूलचंद तिर्की, डब्लू मुंडा, संजय तिर्की, चंपा कुजुर, मोहन तिर्की, साधन उरांव, तानसेन गाड़ी, अर्जुन गाड़ी, सतीश उरांव, भूनू मुंडा w मादी उरांव सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे.

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