आधुनिक वाणिज्यिक बागवानी को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी निर्धारित हो

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वाणिज्यिक बागवानी एवं बागवानी आधारित व्यापार के विकास पर बैठक

रांची: झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स के अहारी उप समिति, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के पदाधिकारी एवं राज्य के उद्यमी, प्रगतिशील किसान के साथ राज्य में व्यवसायिक बागवानी, बागवानी आधारभूत संरचना एवं आधुनिक मार्केटिंग के मुद्दे पर बुधवार को चैंबर भवन में बैठक की गई। बैठक में राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर सरदार सुरेंद्र सिंह एवं डिप्टी डायरेक्टर एस.एस पूर्ति ने राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा संचालित सभी योजनाओं की जानकारी दी एवं इन योजनाओं का कैसे लाभ लिया जाय, इसकी प्रक्रिया की जानकारी दी।

बताया गया कि राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, भारत सरकार द्वारा आधुनिक कोल्ड स्टोरेज 5000 से 10000 टन क्षमता का निर्माण, पॉलीहाउस में फूल एवं सब्जियों की खेती, 5 एकड से अधिक भूमि में आधुनिक फलों की खेती, रेफ्रीजेरेटेड वैन, आधुनिक एयर कंडीशन्ड सब्जी बिक्री स्टोर, मषरूम उत्पादन आदि के लिए 33 से 50 फीसदी अनुदान किया जा रहा है। यह योजना क्रेडिट लिंक्ड केपिटल सब्सिडी स्कीम है। 5 एकड से अधिक भूमि में वाणिज्यिक स्तर पर फलों की खेती के लिए 40 फीसदी सब्सिडी (अधिकतम अनुदान की सीमा 30 लाख रू0) वाणिज्यिक बटन मशरूम की इकाई की स्थापना के लिए 40 फीसदी सब्सिडी (अधिकतम 30 लाख), पॉलीहाउस/शेडनेट हाउस में उच्च मूल्य वाली सब्जियां, शिमला मिर्च, खीरा और टमाटर कम से कम 2500 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्र में खेती के लिए 50 फीसदी सब्सिडी (अधिकतम सीमा 56 लाख) एकीकृत पैक हाउस, मोबाइल प्री कुलिंग यूनिट, कोल्डरूम, एयर कंडीषन रिटेल आउटलेट, राइपनिंग चेंबर, रिफरवैन एवं प्राथमिक प्रसंस्करण के निर्माण के लिए 35 फीसदी सब्सिडी (अधिकतम सब्सिडी 50.07 लाख), 5000 से 10000 टन क्षमता के आधुनिक कोल्ड स्टोर के निर्माण के लिए 35 फीसदी सब्सिडी दिया जाता है।

बैठक में निर्णय लिया गया कि केंद्रीय कृषि मंत्री से अपील किया जाय कि झारखण्ड में आधुनिक वाणिज्यिक बागवानी को प्रोत्साहित करने के लिए नॉर्थ इस्ट राज्यों के समकक्ष सब्सिडी एवं क्षेत्र के आकार को निर्धारित किया जाय। साथ ही झारखण्ड में सभी अनूसूचि क्षेत्र में सभी वर्ग के लाभार्थी को अनुसूचित क्षेत्र के प्रावधान अनुसार सब्सिडी का प्रावधान किया जाय। उप समिति चेयरमैन आनंद कोठरी ने कहा कि प्रदेश में वाणिज्यिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए अनुसूचित जनजाति की खेती योग्य भूमि की लीज अवधि 5 वर्षों से बढाकर 15 वर्षों का किया जाना हितकर होगा।  चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के पदाधिकारी से आग्रह किया कि वे इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए चेंबर के माध्यम से उद्यमियों को पूर्ण सहयोग दें एवं चेंबर को विस्तृत में सारी जानकारी उपलब्ध करायें।

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