झारखंड में स्टार्टअप पॉलिसी का अब तक क्रियान्वयन नहीं: अमित अग्रवाल

कारोबार झारखंड न्यूज़ रांची
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रांची: नेशनल स्टार्टअप डे के अवसर पर झारखंड चैंबर के स्टार्टअप उप समिति की ओर से आयोजित प्रेस वार्ता में राज्य में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने और स्टार्टअप पॉलिसी लागू करने के लिए सरकार के स्तर से किये जानेवाले प्रयास पर चर्चा की गई। स्टार्टअप उप समिति के चेयरमेन अमित अग्रवाल ने कहा कि झारखण्ड में वर्ष 2023 में संशोधित स्टार्टअप पॉलिसी का अब तक क्रियान्वयन नहीं हो सका है। दो वर्षों से इस पॉलिसी को प्रभावी करने की मांग की जाती रही है किंतु विभाग द्वारा बार-बार एसओपी बनाने की बात ही कही जाती है। चैंबर द्वारा  पिछले वर्ष संपन्न किये गये स्टार्टअप कॉन्कलेव में भी हमारी मांग पर विभाग ने पॉलिसी को जल्द क्रियान्वित करने के लिए आश्वस्त किया था किंतु अब तक इस दिशा में पहल नहीं हो सकी है।

उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि जब तक पॉलिसी लागू होती है तब तक वो आउटडेटेड हो जाती है, ऐसे में उद्यमियों को निराशा हाथ लगती है। राज्य में हजारों उद्यमी हैं, उनके पास एक से बढकर एक इनोवेटिव आयडिया हैं, काम करने की क्षमता है पर राज्य में न उन्हें रजिस्टर्ड किया जा रहा है न ही उन्हें पूंजी बेनिफिट मिल रहा है। झारखण्ड के कई उद्यमी ओडिसा जाकर स्वयं को रजिस्टर्ड करा रहे हैं जिसका फायदा पूरे राज्य को मिल रहा है। राज्य में एक भी इन्क्यूबेशन सेंटर नहीं है जबकि केवल रांची में 10 इन्क्यूबेशन सेंटर होने चाहिए। साथ ही उन्होंने एक्साइज बिल्डिंग में स्थापित इनोवेशन लैब जो पिछले पांच वर्षों से बंद है, को जल्द चालू करने की मांग की।

चैंबर के कार्यकारिणी सदस्य मुकेश अग्रवाल ने पॉलिसी के क्रियान्वयन में होनेवाले विलंब पर चिंता जताई और कहा कि इसके अभाव में राज्य के प्रतिभा पलायन के साथ ही इससे लोगों को प्राप्त होनेवाला रोजगार भी प्रभावित हो रहा है। स्टार्टअप के लिए लैंड बैंक की भी समस्या है, जिसकी पहल सरकार के स्तर से होनी चाहिए। सरकार को इसकी समीक्षा करनी चाहिए कि आखिर क्या कारण है कि महाराष्ट्र में 45 हजार से अधिक स्टार्टअप कंपनियां हैं किंतु झारखण्ड में केवल 4-5 कंपनियां। कमिटी चेयरमेन मनीष पीयूष ने कहा कि वर्ष 2019 में राज्य सरकार द्वारा 107 स्टार्टअप कंपनियों का चयन किया गया था। विभागीय उदासीनता के कारण इनमें से केवल 4-5 स्टार्टअप कंपनियां ही एक्टिव हैं और अधिकांश कंपनियां ओडिसा पलायन कर गईं।

यदि सभी चयनित स्टार्टअप कंपनियां जीवित होती तो 10-12 हजार लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलता। उन्होंने राज्य सरकार से प्रदेश में यथाशीघ्र पॉलिसी के क्रियान्वयन का आग्रह किया। यह भी कहा कि पूर्व में चयनित 107 स्टार्टअप्स में से जो कंपनियां एक्टिव हैं तथा वे बेनिफिट लेना चाह रही हैं, उन्हें बेनिफिट दिया जाय। साथ ही नये सिरे से सेलेक्शन प्रोसेस भी स्टार्ट किया जाना चाहिए। यह कहा कि पॉलिसी के क्रियान्वयन के उपरांत फेडरेशन द्वारा पुनः बडे स्तर पर स्टार्टअप कॉन्कलेव के आयोजन की पहल की जायेगी। प्रेस वार्ता में आदित्य कुमार भी उपस्थित थे।

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