रांची: प्रकृति महापर्व सरहुल पुजा की शुरूआत बुधवार से हो गई।तीन दिवसीय सरहुल पूजा के पहले दिन हर मौजा के पहान पुजारियों के द्वारा केकड़ा मछली पकड़ा एवं शाम में जल रखाई पुजा की जाएगी। गुरुवार 11 अप्रैल को सभी सरना स्थलो में पहानो द्वारा पारंपरिक विधि विधान से पूजा अर्चना किया जाएगा। दोपहर दो बजे से सरहुल शोभायात्रा में सभी झारखंड के आदिवासी मूलवासी समाज शोभायात्रा में शामिल होंगे। वहीं, 12 अप्रैल दिन शुक्रवार को सभी मौजा में पहानो द्वारा फुल खोंसी होगा। केंद्रीय सरना समिति अध्यक्ष सह चडरी सरना समिति के
केंद्रीय अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि सरहुल पुजा की तैयारी पूरी कर ली गई है। सरहुल शोभायात्रा में आदिवासी समाज पारंपरिक वेशभूषा सरहुल शोभायात्रा में में नजर आएंगे। सरहुल शोभा यात्रा में आए हुए विभिन्न मौजा के पहान, पईनभोरा,पुजारियों एवं शोभायात्रा में आए पारंपरिक वेशभूषा, पारंपरिक वाद्य यंत्र, पारंपरिक झांकियों को भी स्वागत किया जाएगा। सभी आदिवासी भाई बहनों से एवंम सभी सरना समितियों से आग्रह है कि सरहुल शोभायात्रा के दौरान सभी भाई, बहन, एवं छोटे छोटे बच्चों को सुरक्षा प्रदान करते हुए कतार बध्य तरीके से सरहुल शोभायात्रा में शामिल हो।
श्री मुंडा ने कहा कि सरहुल शोभायात्रा के दिन हर चौंक चौराहों पर जनरेटर द्वारा विद्युत की व्यवस्था की जाए ताकि सरहुल शोभायात्रा से वापसी के दौरान अप्रिय घटना ना हो। सरहुल शोभायात्रा के मुख्य मार्गो एवं चौक चौराहों पर छोटे-बड़े वाहनों का प्रवेश वर्जित हो। सरहुल पुजा के दिन अपने अपने घरों में धार्मिक प्रतीक चिन्ह जरूर लगाए।