आदिवासियों के 28 विधानसभा एवं लोकसभा के पांच सीट को फ्रीज करने की मांग

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बाहर से आई आबादी के कारण झारखंड में घटेगी आदिवासी सीटें

रांची: आदिवासियों के विभिन्न मुद्दों को लेकर रविवार को पुराना विधानसभा क्लब हॉल में देवकुमार धान की अध्यक्षता में आदिवासी महासभा के सक्रिय सदस्यों की एक बैठक हुई। इस बैठक का संचालन बलकु उरांव ने किया बैठक में कहा गया कि 1941 के जनगणना में झारखंड की कुल आबादी आदिवासी और सदान (झारखंड में लम्बे समय तक रहने वाले गैर आदिवासियों) से बनी थी। हर जनगणना में आदिवासियों की आबादी आनुपातिक रूप से घटती चली गई जबकि यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। 1941 में आदिवासियों की जनसंख्या 41, 67,993 थी जबकि गैर आदिवासियों की जनसंख्या 47,00,076 थी, 1951 में आदिवासियों की जनसंख्या 44,60,737 थी जबकि गैर आदिवासियों की जनसंख्या 52,36,517 थी, 1961 में आदिवासियों की जनसंख्या 41,89,943 थी जबकि गैर आदिवासियों की जनसंख्या 74,16,546 थी, 1971 में आदिवासियों की जनसंख्या 45,69,756 थी जबकि गैर आदिवासियों की जनसंख्या 96,57,377 थी, 1981 में आदिवासियों की संख्या 53,06,517 थी जबकि गैर आदिवासियों की संख्या 1,23,05,552 थी, 1991 में आदिवासियों की संख्या जनसंख्या 60,50,764 थी जबकि गैर आदिवासियों की जनसंख्या 1,57,93,147 थी, 2001 में आदिवासियों की जनसंख्या 70,86,753 थी जबकि गैर आदिवासियों की जनसंख्या 1,98,59,076 थी, 2011 में आदिवासियों की जनसंख्या 86,42,891 थी जबकि गैर आदिवासियों की संख्या 2,43,45,243 थी।

इस बैठक में कहा गया कि 1941 में आदिवासियों की आबादी 47% थी, जो 2011 में घटकर 26% हो गया। वर्ष 2001 की परिसीमन में झारखंड विधानसभा के 6 आदिवासी सीट और एक लोकसभा सीट घट चुकी है। 2025 में फिर से परिसीमन होने वाला है। 2025 के परिसीमन में आदिवासियों का चार विधानसभा सीट और एक लोकसभा सीट  घटेगी। झारखंड विधानसभा में आदिवासियों के लिए 28 विधानसभा सीट में 10 सीट घटकर मात्र 18 सीट हो जाएगी। बाहरी आबादी के प्रभाव के कारण आदिवासियों के लिए जितने भी प्रकार के आरक्षण है जैसे नौकरी, शिक्षा, पंचायत, लोकसभा, विधानसभा साथ ही पांचवी अनुसूची, पेसा कानून एवं सीएनटी एक्ट भी प्रभावित होगा, जिसके कारण झारखंड में आदिवासियों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। बैठक में कहा गया कि विधानसभा और लोकसभा की घटने वाली सीट के लिए आदिवासियों का एक प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राहुल गांधी एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर झारखंड में आदिवासियों के 28 विधानसभा सीट एवं लोकसभा के 5 सीट को फ्रीज करने की मांग करेंगे।

बैठक में कहा गया कि गैर आदिवासी द्वारा आदिवासी महिला को पहली, दूसरी पत्नी बनाकर जमीन, नौकरी, मुखिया, प्रमुख, जिला परिषद का आरक्षण का लाभ आदिवासी महिला के नाम से ले रहे हैं, वैसी आदिवासी महिला जो गैर आदिवासी से शादी करने के बाद आदिवासी रीति रिवाज, भाषा, संस्कृति, परंपरा को छोड़ देती है वैसी आदिवासी महिला को एसटी के आरक्षण से बाहर करने का प्रस्ताव पारित किया गया। निर्णय लिया गया कि आदिवासियों के जमीन बचाने के लिए आंदोलन को तेज किया जाएगा। साथ ही 2025 के जनगणना में प्रत्येक गांव में दो-दो कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि आदिवासियों की जनगणना सही तरीके से हो सके। आदिवासियों के धार्मिक, सामाजिक एवं रैयती जमीन को बचाने के लिए उपायुक्त रांची का घेराव कार्यक्रम 30 अगस्त 2024 को तय किया गया।

बैठक में मुख्य रूप से फूलचंद तिर्की, अध्यक्ष केंद्रीय सरना समिति, सोमा मुंडा, पडहा राजा सांगा पडहा, खूंटी, नारायण उरांव, अध्यक्ष आदिवासी महासभा, निर्मल पहान, आदिवासी संयुक्त मोर्चा, हान्दु भगत, अध्यक्ष, गुमला जिला सरना समिति, प्रभु दयाल उरांव, जिला पड़हा लातेहार, महेंद्र बेक, आदिवासी केंद्रीय सरना समिति, हजारीबाग, अभयभूट कुवर, कार्यकारिणी अध्यक्ष, आदिवासी लोहरा समाज, बुधवा उरांव,  आदिवासी महासभा, मांडर, रजनीश उरांव, प्रखंड अध्यक्ष आदिवासी महासभा, चान्हो, विकास मिंज, प्रखंड अध्यक्ष, आदिवासी महासभा, बेडो, जितिया उरांव, प्रखंड अध्यक्ष, आदिवासी महासभा, लापुंग, बैजनाथ लोहरा, प्रखंड अध्यक्ष,  आदिवासी लोहरा समाज, कांके, प्रीतम साड लोहरा, केंद्रीय महासचिव, आदिवासी लोहरा समाज, ओरमांझी, संजय तिर्की, सहाय तिर्की, प्रमोद एक्का, मनोज टुडू, जीतू उरांव इत्यादि उपस्थित थे।
                      
                   
                       
            

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