
तेली समाज का विराट समागम, संघर्ष से संकल्प तक, एकता का अद्भुत इतिहास लिखने का संकल्प
Ranchi / Kanke: कांके प्रखंड के होचर गांव स्थित तेली खरिहान में शुक्रवार को आयोजित विराट तेली जतरा भव्य और ऐतिहासिक माहौल में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सुबह से ही गांव की सड़कें, गलियाँ, मुख्य चौक, मंच और परिसर उत्सव रंग में रंगे दिखे। ग्रामीणों में खुशी और उमंग की लहर स्पष्ट दिखाई दी। ऐसा लगा मानो होचर गांव तेली पहचान और तेली गौरव का जीवंत प्रतीक बन गया हो।
आयोजन केंद्रीय तेली जतरा समिति, होचर द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शत्रुघन साहू ने की। मुख्य अतिथि के रूप में धनबाद के सांसद ढुलू महतो उपस्थित रहे, और विशिष्ट अतिथि के रूप में बड़कागांव की पूर्व विधायक अंबा प्रसाद, पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, हरिनाथ साहू अजय शाह, अरुण साहू, फूलचंद साहू मंच पर मौजूद रहे। अतिथि के तौर पर अर्जुन साव, नूपुर गुप्ता, बलिराम साहू, विजय साहू, मदन साहू, महेश महतो, निरंजन तेली, सुनील साहू मौजूद रहे वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने में जतरा के अध्यक्ष शत्रुघन साहू, संजय साहू ( गुड्डू) , बेनी साहू, संजय साहू, पंकज कश्यप, धनेश्वर साहू, शंकर साहू, निरंजन साहू, लक्ष्मण साहू, देवेंद्र साहू सुलेंद्र साहू इत्यादि का विशेष योगदान रहा।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ढुलू महतो ने कहा तेली समाज उद्योग का जननी है। उत्पादन, उद्यम, श्रम और संसाधन का केंद्र ऐतिहासिक समाज रहा है। और अब समय आ गया है कि इस पहचान को राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व की भूमिका में बदला जाए।
पूर्व विधायक अंबा प्रसाद ने कहा तेली समाज मेहनत और उत्पादन की रीढ़ है लेकिन प्रतिनिधित्व में न्याय नहीं मिला। इसे बदलने के लिए मांग को अधिकार और अधिकार को दबाव में बदलना होगा। राष्ट्रीय तेली साहू महासंगठन के झारखण्ड प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष हरिनाथ साहू ने कहा कि पार्टी की भक्ति छोड़कर जाती की बात करना होगा. बहुसंख्यक तेली समाज को भी आबादी के अनुसार राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने का संकल्प लेने को होगा तभी समाज का जात का उत्थान होगा. और समाज के नौजवानों ने जो आज बीड़ा उठाया है वह प्रशंसनीय है. और इस ताकत को समाज समझे और नौजवानों को हौसला देने का काम करे.

समाज के अगुआ जनों ने कहा राजनीतिक भागीदारी और सामाजिक भागीदारी के लिए संघर्ष करना होगा। संख्या होने से अधिकार नहीं मिलता संगठन और दबाव बनाने से मिलता है।
कार्यक्रम में गीत–संगीत का जबरदस्त माहौल रहा। समाज के लोक कलाकारों ने पारंपरिक ताल पर दर्शकों को झुमाया। लोग लोकप्रिय नागपुरी गीत “मोर मन घना लागे रे” पर खूब थिरके और तालियों की गड़गड़ाहट से मंच गूंजता रहा। मंच से लेकर ग्राउंड तक पूरा माहौल नाच–गान से सराबोर दिखा।
जतरा में युवाओं की भागीदारी सबसे ज्यादा आकर्षक रही। युवाओं ने कहा हम अब दर्शक नहीं हम प्रतिनिधित्व करने वाले हैं। जिससे यह साफ स्पष्ट होता है कि नई पीढ़ी नेतृत्व की भूमिकाओं को लेकर पूरी तरह तैयार है।

तेली समाज कोई साधारण सामाजिक समूह नहीं यह उद्योग का उद्गम–बिंदु है। तेलघानी चक्र और उत्पादन आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जन्म–स्थली यही समाज है। यह जतरा केवल उत्सव नहीं यह इतिहास का पुनर्जागरण है। यह एक स्पष्ट घोषणा है अब संघर्ष केवल आर्थिक नहीं प्रतिनिधित्व और निर्णय–प्रणाली की भागीदारी का भी है।
आयोजन समिति ने अध्यक्ष शत्रुघन साहू ने कहा होचर में शुरू हुआ यह जतरा केवल उत्सव नहीं जनजागरण है। आने वाले समय में इस जतरा को पूरे झारखंड में विस्तार दिया जाएगा। यह आयोजन तेली समाज के पहचान, स्वाभिमान, जागृति और हक के लिए रणनीतिक शुरुआत है।
