विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है. जेएमएम छोड़ कर पूर्व सीएम चंपई बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं तो दूसरी लोबिन हेम्ब्रम को भी भाजपा से हरी झंडी मिलने का इंतजार है. इसके साथ भाजपा ओर जेएमएम के लिए चुनौती खड़ी करने जा रहे हैं पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा. विधानसभा चुनाव से पहले नई पार्टी का गठन करने जा रहे हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा. पार्टी का नाम भी यशवंत सिन्हा के नाम पर रखा जाएगा.
अटल विचार मंच से यशवंत करेंगे नए अध्याय की शुरूआत
रविवार को हजारीबाग में यशवंत सिन्हा और उनके बेटे और भाजपा के पूर्व सांसद जयंत सिन्हा अपने समर्थकों के साथ बैठक की. इस बैठक में नई पार्टी गठित करने पर चर्चा की गई. बैठक की अध्यक्षता सुरेंद्र कमार सिन्हा ने की. सुरेंद्र सिन्हा बीजेपी की कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य है. वह भाजपा के पूर्व सांसद जयंत सिन्हा का प्रतिनिधि कर चुके हैं. इस बैठक के बाद सोमवार को दिल्ली के लिए जयंत सिन्हा रवाना हुए. दिल्ली जाने से पहले जयंत सिन्हा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह समाज के विभिन्न वर्गों के साथ परामर्श करने के बाद, अटल विचार मंच(एवीएम) गठित करने का अंतिम निर्णय लिया गया है.
बीजेपी में केंद्रीय मंत्री रहे हैं यशवंत
यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. यशवंत सिन्हा 1998,1999 और 2009 में हजारीबाग सीट से जीतकर सांसद बने थे. इसके साथ ही वह संयुक्त बिहार में रांची विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं. 2014 में भाजपा ने यशवंत सिन्हा के बड़े बेटे जयंत सिन्हा को हजारीबाग सीट से दिकट दिया था. यशवंत सिन्हा ने भी 2014 में बेटे के सांसद बनने के बाद राजनीति से अघोषित तौर पर रिटायरमेंट ले ली थी लेकिन 2020 में वो फिर से एक्टिव हो गए. और 2021 में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन अब पार्टी में उनकी सक्रियता नहीं के बराबर है। हाल के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने उनके पुत्र जयंत सिन्हा का टिकट काट दिया था। जिसके बाद उन्होंने अब नई पार्टी बनाने की घोषणा की है.
राजनीति में आने से पहले IAS थे यशवंत सिन्हा
राजनीति में आने से पहले यशवंत सिन्हा IAS थे. उनकी गिनती तेज तर्रार आईएएस अफसरों में गिनती होती थी.राजनीति में आने से पहले 24 साल तक कई महत्वपूर्ण पदों पर यशवंत सिन्हा तैनात रह चुके हैं। सिन्हा 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति राजनीतिक में आ गए, और जनता पार्टी में शामिल हुए। 1986 में उन्हें पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में राज्यसभा का सदस्य चुना गया। 1989 में जब जनता दल का गठन हुआ तो उन्हें पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया.