मगध परियोजना में मजदूर बनाम प्रबंधन- सुविधाओं की कमी पर भड़का यूनियन,प्रबंधन को यूनियन का 45 दिन का अल्टीमेटम

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चतरा/टांडवा: सीसीएल मगध परियोजना के अधिकारियों और झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के बीच बुधवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें मजदूरों से जुड़े कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा हुई। यूनियन के जोनल सचिव जयनारायण महतो, उपाध्यक्ष राजकुमार महतो, केंद्रीय उपाध्यक्ष इक़बाल हुसैन, मगध संघ मित्रा के एरिया अध्यक्ष बिनोद गंझू, सचिव सुरेंद्र उरांव और रंथु उरांव मौजूद थे। यूनियन प्रतिनिधियों ने प्रबंधन पर मजदूरों की समस्याओं की लगातार हो रही अनदेखी का आरोप लगाया।


जोनल सचिव जयनारायण महतो ने कहा कि सुरक्षा कर्मियों को पेट्रोलिंग के लिए वाहन न देना, पिट ऑफिस में तीनों पाली में एंबुलेंस या आपातकालीन वाहन उपलब्ध न कराना गंभीर लापरवाही है। कार्यस्थल पर पेयजल और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव भी बड़ा मुद्दा बताया गया।


बैठक में केन्द्रीय उपाध्यक्ष इक़बाल हुसैन ने अधिकारियों द्वारा मजदूरों के साथ की जा रही अपमानजनक व्यवहार की शिकायत उठाई। वहीं, एरिया अध्यक्ष बिनोद गंझू ने प्रमोशन और छुट्टियों में कटौती को लेकर प्रबंधन पर मनमानी का आरोप लगाया। रविवार को दी जाने वाली छुट्टियों को घटाने और नियमित छुट्टी न देने से मजदूरों में नाराजगी बढ़ी है।


जिला परिषद सदस्य सुभाष यादव ने मजदूरों के लिए बस सुविधा उपलब्ध कराने की जोरदार मांग की। उन्होंने कहा कि दूरदराज़ क्षेत्रों से आने वाले मजदूर रोजाना कई तरह की परेशानियों का सामना करते हैं, इसलिए बस सेवा उपलब्ध कराना आवश्यक है।


एरिया सचिव सुरेंद्र उरांव ने प्रमोशन प्रक्रिया में हो रही देरी और योग्य कर्मियों को वर्षों तक इंतजार कराने की नीति को ‘शोषण की मानसिकता’ बताया।


यूनियन ने मगध परियोजना में काम कर रहे मजदूरों के लिए क्वार्टर उपलब्ध कराने की भी मांग रखी। बैठक में परियोजना अधिकारी, ऑपरेशनल अधिकारी और परियोजना मैनेजर भी उपस्थित थे। लगभग दो घंटे चली बैठक के बाद परियोजना अधिकारी ने आश्वासन दिया कि मजदूरों की समस्याओं का समाधान धीरे-धीरे किया जाएगा।


हालाँकि यूनियन नेताओं ने साफ कहा कि बातें नहीं, कार्रवाई चाहिए। उन्होंने प्रबंधन को 45 दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी कि तय समय में समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो बड़ा ग्रामीण आंदोलन होगा। सड़कों पर जनसैलाब उतरेगा और अगर ज़रूरत पड़ी तो खनन कार्य बंद कराने तक की नौबत आ सकती है।


मजदूरों की समस्याओं और प्रबंधन के रवैये को लेकर अब पूरे क्षेत्र में चर्चाएं तेज हो गई हैं। आने वाले 45 दिन तय करेंगे कि समाधान होगा या संघर्ष और उग्र होगा।

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