केंद्र शासित प्रदेश की मांग अमित शाह पर क्यों सवालिया निशान

जन सभा विशेष
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कहते हैं बात निकलेगी की तो दूर तलक जाएगी किताबों की मानें तो दो और दो सदैव चार होते हैं, पर राजनीति को दो और दो पांच बनाने की कला में पारंगत हासिल है। आज झारखंड के परिपेक्ष्य में इस सच को झुठलाया नहीं जा सकता की कुर्सी ही तथाकथित जनसेवकों का ध्येय बन गया है फिर उसके लिए देश की अस्मत को दुश्मनों के सामने बिछाने में भी उन्हें गुरेज नहीं। बात हो रही है अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की और उनसे आदिवासी संस्कृति और जमीनों की रक्षा की। बात हो रही है झारखंड के मूलवासियों के हितों की और उनके भविष्य की, जिस पर संकट के बादल छाए हुए हैं।


गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने जब ये मुद्दा सदन में उठाया तो विपक्ष जो की मुद्दा विहीन है उसने इस मुद्दे को ऐसे लपका जैसे उसके मुंह में बटेर लग गया हो और बिना कुछ सोचे समझे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्य शैली पर सवाल दागने शुरू कर दिए। जब की बच्चा बच्चा जानता है लॉ एंड ऑर्डर राज्यों का विषय होता है। लिहाजा पुलिस राज्य सरकार के अधीन होती है। राज्य का मुखिया दिन कहे तो दिन रात कहे तो रात। इसमें अमित शाह की कोई भूमिका नहीं है।

बढ़ती मुस्लिम आबादी चिंता का विषय : सुप्रीम कोर्ट

उच्च न्यायालय ने अपने 22 जुलाई के ऑर्डर में भारत सरकार को ताकीद किया है की संथाल परगना क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही है जो की चिंता का विषय है। जिसके कारण उस क्षेत्र का डेमोग्राफिक परिवर्तन हो रहा जिसका खामियाजा वहां की पीढ़ियों से चली आ रही सांस्कृतिक धरोहरों पर हो रहा है जो की आदिवासी सभ्यता का केंद्र बिंदु है।
निशिकांत दुबे ने इसी ओर सदन का ध्यान आकृष्ट करते हुए पूरे फैक्ट और फिगर के साथ बताया की जब नए राज्य के रूप में झारखंड अस्तित्व में आया उस समय संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की जनसंख्या लगभग 36% थी जो मात्र 25 सालों में घट कर 26% हो गई है। वहीं इन्हीं क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी में अप्रत्याशित 126% तक का उछाल आया है जो की किसी भी तरह से तर्क संगत नहीं हो सकता।

संथाल के इलाकों से आदिवासियों का नाम तक मिट जाएगा…?


बांग्लादेश से बंगाल के रास्ते घुसपैठिए संथाल परगना में प्रवेश कर आदिवासी महिलाओं से शादी कर उनकी जमीनों को हड़प रहे हैं। अगर यही सिलसिला चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब इन इलाकों से आदिवासियों का नाम तक मिट जाएगा। बंगाल और झारखंड के मुख्यमंत्री के तुष्टिकरण की राजनीति किसी से छुपी नहीं, पुलिस भी वही करेगी जिसकी स्वीकृति उसे मिलेगी। ED की टीम को किस तरह बंगाल पुलिस ने बंधक बना लिया था ये तस्वीर मेरी बात के तस्दीक के लिए काफी है।

निशिकांत अपनी पार्टी को आदिवासी हितैषी साबित कर दिया


गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे को मानना पड़ेगा जिन्होंने एक मंझे हुए राजनीतिक के तौर पर विधानसभा से ठीक पहले इस मुद्दे को सदन में उठा कर अपनी पार्टी को आदिवासी हितैषी साबित कर दिया साथ ही संथाल परगना से आने वाले हेमंत सोरेन के आदिवासियों के प्रति उनके उदासीन रवैए को भी उजागर कर दिया। इसे कहते हैं एक तीर से कई निशाने लगाना। चुनाव नजदीक है अभी कई तीर चलेंगे।

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