आदिवासी जमीन बचाओ अभियान के तहत आदिवासियों की धार्मिक, सामाजिक, सामुदायिक और निजि सभी तरह की जमीनों की लूट-खसौट,जबरन दखल-कब्जा,जमीन माफिया,बिल्डर बिचौलिया-दलालों के साथ राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से दस्तावेजों में हेराफेरी, राज्य भर के पुलिस प्रशासन की जमीन माफिया गठजोड़ का दबदबा से तंगहाल/परेशान, पीड़ित हजारों लोगों के द्वारा मुख्यमंत्री, मंत्री,अधिकारियों को दिये गए आवेदन/शिकायत के बाद भी किसी प्रकार की कारवाई नही होने से आक्रोशित विभिन्न आदिवासी संगठनों के द्वारा बापू वाटिका,मोरहाबादी मैदान,रांची में महाधरना दिया गया।

इस दौरान रांची और इसके आस-पास गांवों के सैकड़ों पीड़ित लोगों के साथ विभिन्न आदिवासी संगठनों ने भाग लिया। इस अवसर पर धरना कार्यक्रम को समर्थन करने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासियों की जमीन की लूट मची हुई है। हम झारखंड विधानसभा में मानसून सत्र में इस पर सदन में एक दिन का बहस चलाने की मांग करेंगे। वहीं आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि आदिवासी जमीन की लूट-खसौट खेल के पिछे राज्य सरकार जिम्मेदार है,हेमंत सोरेन सरकार भ्रष्ट-अधिकारियों,जमीन माफिया गिरोह का संरक्षक बनी हुई है। मैके पर मौजूद पूर्व विधायक देव कुमार धान ने कहा कि राज्य में जमीन माफिया और अंचल अधिकारियों की सांठ-गांठ से आदिवासी जमीन की हेराफेरी,छेड़छाड़ की जा रही है। NIC के द्वारा भी राजस्व रिकार्ड में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।
सरना सदान मूलवासी मंच के अध्यक्ष सुरज टोप्पो ने हेमंत सोरेन को चेतावनी देते हुए आगाह किया कि समय रहते हेमंत सरकार आदिवासियों की जमीन लूट के खिलाफ सख्त कानून व एसआईटी की गठन कर गलत तरीके से रजिस्ट्री मोटेशन को रद्द कर सख्त कार्रवाई करने का काम करें वरना इस कार्यक्रम के बाद से राज्य भर में आदिवासी जमीन की लूट-खसौट के खिलाफ आंदोलन तेज किया जाएगा।

कांके रोड सरना समिति के अध्यक्ष डब्लू मुंडा ने चिंता जाहिर करते हुए बताया कि दुर्भाग्य है हम आदिवासियों के लिए की आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में आदिवासियों को खुले आम दोनों हाथों से लूटा जा रहा है। केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने राज्य सरकार को भ्रष्ट-अधिकारियों की संरक्षक बताते हुए खूब हमला बोला.
केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की सीएम हेमंत सोरेन से आदिवासी समुदाय को जो उम्मीद थी,आज सब कुछ धराशायी हो गया है।

सामाजिक अगुआ बल्कु उरांव नकहा कि आदिवासियों के पास आंदोलन ही एक रास्ता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अविलंब आदिवासी जमीन लूटने वाले जमीन माफिया और राजस्व अधिकारियों के उपर कारवाई करे।
महाधरना में लोहरदगा,खुँटी,चामा नगड़ी,अनगढ़ा तथा राँची के आस पास के औरमांझी,अनगड़ा,कांके बोड़िया,बुकरू,टायगोर हील,एदलहातू,टिकली टोला,मिसिर गोन्दा,हेसल,पंतगाई,हटिया इत्यादि गाँवों के हजारो महिला,पुरूष मौजूद थें।

महाधरना को सफल बनाने में मुख्य रूप से आदिवासी बुद्धिजीवि लक्ष्मीनारायण मुण्डा,पूर्व विधायक देव कुमार धान,बलकू उराँव,सुरज टोप्पो,डब्लू मुण्डा,बबलू मुण्डा,फ़ुलचन्द तिर्की,सहाय तिर्की,सोनू उराँव,भुनू तिर्की,निर्मण पहान,अर्जून गाड़ी,सोमरा गाड़ी,मोहन तिर्की,अमित मुण्डा,शशि मुण्डा,मांगा उराँव,चैतू उराँव,अशोक पहान,दिनेश मुण्डा इत्यादि लोगों का अहम भूमिका रहा।