बिना किसी आँकड़े, प्रमाण और थाने में दर्ज़ मामले की संख्या के लव जिहाद, उत्पीड़न और शोषण का आरोप लगाना गलत
पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का झारखण्ड की आदिवासी महिलाओं एवं लड़कियों के प्रति दृष्टिकोण उनके वक्तव्यों से पूरी तरीके से स्पष्ट है. श्री तिर्की ने कहा कि किसी भी दृष्टिकोण से आदिवासी महिलाओं और लड़कियों के मान-सम्मान को राजनीतिक हथियार बनाने से भाजपा नेताओं को बाज आना चाहिये और यह बिल्कुल गलत है कि बाहर से आनेवाला कोई भी नेता जब-तब आरोप लगाये और आदिवासी महिलाओं की अस्मिता एवं उनके सम्मान से खिलवाड़ करे.
चाहे झारखण्ड के भाजपा नेता हों या फिर दिल्ली या किसी अन्य क्षेत्र से आनेवाले कोई भी नेता लेकिन वे महिला उत्पीड़न, लव जिहाद और विशेष रूप से संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासी महिलाओं से संबंधित विभिन्न विषयों को जिस तरीके से ना केवल अपनी सभाओं या बैठकों बल्कि मीडिया में भी रखते हैं वह दुर्भाग्यपूर्ण है और यह उनके संकुचित और दुर्भाग्यपूर्ण नज़रिये को ही बताता है.
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा के साथ ही बाबूलाल मरांडी, अमर बाउरी और अन्य अनेक नेता हमेशा संथाल परगना क्षेत्र में डेमोग्राफी में परिवर्तन और महिलाओं के साथ लव जिहाद जैसी बातें करके मीडिया और लोगों का ध्यान तो अपनी ओर खींच लेते हैं लेकिन ऐसा वे बिना किसी आँकड़े, प्रमाण और थाने में दर्ज़ मामले की संख्या के ही करते हैं.
उन्होंने कहा कि आदिवासी महिलाओं के मान-सम्मान को राजनीति में घसीटना भाजपा नेताओं की पुरानी आदत है और इससे आदिवासियों में गुस्सा है. भाजपा नेताओं का रवैया और वक्तव्य, आदिवासी महिलाओं और लड़कियों के प्रति उनके दृष्टिकोण, चाल, चरित्र और चेहरे को ही बताता है.
भाजपा नेताओं के पास कोई पुख्ता प्रमाण है तो उसे सामने लाना चाहिये अथवा उन्हें सक्षम अथॉरिटी के पास अपनी शिकायत दर्ज करवानी चाहिये ना कि अखबार और मीडिया की सुर्खी बनने के चक्कर जब-तब बिना प्रमाण के आरोप लगाना चाहिये.
संथाल परगना के विभिन्न क्षेत्रों में घुसपैठ के संदर्भ में श्री अमित शाह और भाजपा नेताओं के आरोपों का साधारण-सा जवाब यही है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी और घुसपैठ रोकने की जिम्मेदारी केन्द्रीय एजेंसियों विशेष रूप से, सीमा सुरक्षा बल के ऊपर है और यदि घुसपैठ हो रहा है तो इसकी सीधी-सीधी जवाबदेही केन्द्रीय गृह मंत्रालय को अपने सिर पर लेनी चाहिये ना कि झारखण्ड या अन्य किसी राज्य के ऊपर उसका आरोप लगाया जाना चाहिये.