रांची: भगवान महावीर मेडिका सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने 17 साल की उभरती कबड्डी खिलाड़ी को घुटने की गंभीर चोट से उबारकर उसके सपनों को एक नई उड़ान दे दी। मेडिका हॉस्पिटल, जो मणिपाल हॉस्पिटल्स ग्रुप का हिस्सा है, ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस सफलता की जानकारी दी। इस मौके पर धारवी के आर्थोस्कोपिक एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (एसीएल) रिकंस्ट्रक्शन के बाद शानदार रिकवरी का जश्न मनाया गया। इस कार्यक्रम में अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. निर्मल कुमार (सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक साइंस), डॉ. राकेश अग्रवाल (सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक साइंस), डॉ. श्याम देव कुमार (सीनियर एसोसिएट, फिजियोथेरेपी) और मेडिकल डायरेक्टर डॉ. विजय कुमार मिश्रा मौजूद थे।
बता दें कि धनबाद की रहने वाली धारवी रेलवे के लिए पेशेवर कबड्डी खेलती हैं और एक राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी हैं। 2023 में कबड्डी खेलते समय उनके बाएं घुटने में गंभीर चोट लगी, जिससे उनका करियर खतरे में पड़ गया। यह चोट उनके एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट और मेडियल मेनिस्कस के फटने का कारण बनी।
जून 2023 में भगवान महावीर मेडिका हॉस्पिटल में डॉ. निर्मल कुमार ने धारवी का इलाज शुरू किया और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए आर्थोस्कोपिक एसीएल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की। इसमें फाइबर टेप के जरिए एसीएल को मजबूती दी गई और मेडियल मेनिस्कस की मरम्मत भी की गई। धारवी की इस सर्जरी ने उनके करियर को नया जीवन दे दिया है।
संवाददाता सम्मेलन में डॉ. निर्मल कुमार ने स्थिति पर चर्चा करते हुए बताया कि धारवी की चोट एक बड़ा चुनौतीपूर्ण मामला था। खासकर उनके जैसे युवा खिलाड़ी के लिए, जिनका करियर अभी शुरुआत में है। इस अत्याधुनिक आर्थोस्कोपिक तकनीक के तहत उनके घुटने के एक महत्वपूर्ण लिगामेंट (एसीएल) को न्यूनतम कटाव वाले आर्थोस्कोपी के जरिए ठीक किया गया। क्षतिग्रस्त एसीएल को मजबूत और टिकाऊ फाइबर (फाइबर टेप) की मदद से पुनर्निर्मित किया गया, जिससे अतिरिक्त सहारा और स्थिरता मिल सके। साथ ही घुटने में कुशन का काम करने वाले मेडियल मेनिस्कस (कार्टिलेज) की भी मरम्मत उसी प्रक्रिया के दौरान की गई, जिससे घुटने की कार्यक्षमता बहाल हो और भविष्य में किसी अन्य नुकसान से बचा जा सके। इस प्रक्रिया का एक और फायदा यह है कि यह तेजी से ठीक होने और लंबे समय तक बेहतर परिणाम देने में मदद करती है। धारवी ने पुनर्वास (रीहैबिलिटेशन) के प्रति जिस तरह की प्रतिबद्धता और खेल के मैदान पर वापसी का जो दृढ़ निश्चय दिखाया है, वह वाकई प्रेरणादायक है। वह न केवल खेल में वापस आ गई हैं, बल्कि भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने का सपना भी पूरा करने की ओर बढ़ रही हैं। हमें उन पर बेहद गर्व है और हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।
डॉ. कुमार ने आगे कहा, “झारखंड खेलों को पसंद करने वाला राज्य है, जहां कई युवा खेल को करियर के रूप में चुन रहे हैं। यहां खेल गतिविधियां बढ़ने के साथ ही खिलाड़ियों में चोट लगने के मामले भी बढ़ रहे हैं। चोट के बाद खिलाड़ियों को दोबारा मैदान पर लौटाना मुश्किल काम होता है, खासकर जब सर्जरी से जुड़े डर और गलत धारणाएं सामने आती हैं। हम मेडिका रांची में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं देकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि खिलाड़ी बिना किसी डर के चोट का इलाज करवाएं और हमेशा खेलों में सक्रिय रहें।”
यह सर्जरी धारवी के सफर में एक अहम मोड़ साबित हुई। डॉ. श्याम देव कुमार के मार्गदर्शन में उन्होंने गहन फिजियोथेरेपी और पुनर्वास कार्यक्रम शुरू किया। धारवी की प्रगति पर बात करते हुए डॉ. श्याम ने कहा कि एसीएल सर्जरी के बाद का पुनर्वास सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है, खासकर खिलाड़ियों के लिए। धारवी ने अपने फिजियोथेरेपी रूटीन के प्रति जो समर्पण दिखाया वह वाकई काबिले तारीफ है। सर्जरी के सिर्फ पांच दिन बाद ही हमने उनकी स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। धीरे-धीरे उनकी एक्सरसाइज में वज़न शामिल किया गया। तीन महीने में उन्होंने अपनी पूरी गतिशीलता (मोबिलिटी) वापस पा ली। उनकी ताकत, फुर्ती और कोर्ट पर आत्मविश्वास पूरी तरह लौट आया, जिससे कबड्डी खेलना उनके लिए सहज हो गया और वह अपने लक्ष्यों को पाने की दिशा में बढ़ गईं। धारवी का यह सफर खेल चिकित्सा में टीम वर्क की अहमियत और खिलाड़ियों की चुनौतियों को पार करने की दृढ़ता को दर्शाता है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ. राकेश अग्रवाल ने कहा कि यह देखकर खुशी हो रही है कि धारवी अपनी पुरानी दिनचर्या और कबड्डी में उसी जोश के साथ लौट आई हैं, जैसे चोट से पहले थीं। हमारे अस्पताल में हम राज्य में सबसे बेहतरीन ऑर्थोपेडिक देखभाल प्रदान करते हैं, जिसमें नवीनतम तकनीक और विशेषज्ञता का संयोजन होता है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि धारवी जैसी खिलाड़ियों को उच्चतम स्तर का इलाज मिले और उनकी सेहत पूरी तरह बहाल हो, ताकि उनके सपनों को उड़ान मिल सके। आर्थोस्कोपिक एसीएल सर्जरी जैसी प्रक्रियाओं में हमारा उद्देश्य केवल इलाज करना नहीं, बल्कि मरीजों को जल्द से जल्द ठीक कर उनके प्रदर्शन को भी तेजी से बहाल करना है। हमारा मिशन हर व्यक्ति को बेहतरीन इलाज देकर उनकी जिंदगी को फिर से संवारने और उनके सपनों को पूरा करने में मदद करना है।
एक अनुशासित खिलाड़ी होने के साथ-साथ पढ़ाई में भी उत्कृष्ट धारवी ने इस मौके पर मेडिकल टीम के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
मौके पर डॉ. विजय कुमार मिश्रा ने कहा कि हम सभी के लिए यह बहुत खुशी की बात है कि धारवी अपनी खेल गतिविधियों में वापस लौट आई हैं। यह उनकी मानसिक ताकत और समर्पण का बड़ा परिणाम है। डॉ. निर्मल कुमार और डॉ. श्याम देव कुमार की उनके इलाज और रिकवरी में भूमिका सराहनीय है। मैं दोनों को बधाई देता हूं। यह सफलता हमारे अस्पताल की अत्याधुनिक ऑर्थोपेडिक देखभाल और खिलाड़ियों व सक्रिय व्यक्तियों को उन्नत इलाज और उम्मीद देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। हम उम्मीद करते हैं कि धारवी की यह कहानी और लोगों को सही इलाज करवाने और अपने सपनों को बिना किसी डर के पूरा करने की प्रेरणा देगी।
