मंत्री योगेन्द्र प्रसाद से मिले जेएलकेएम नेता देवेन्द्र नाथ महतो सौंपा मांग पत्र

राजनीति
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झारखण्ड उत्पाद एवं मद्य निषेध नियमावली 2025 में झारखंडियों को मिले प्राथमिकता : देवेंद्र नाथ महतो

खतियानधारी झारखंडी शराब कारोबार को ही लाईसेंस देने, संपूर्ण झारखंड में एक व्यक्ति/ऐजेंसी/ कंपनी को एक ही लाईसेंस देने तथा मॉडल शॉप, डिपार्टमेंटल स्टोर, मॉल में शराब बिक्री बंद करने का मांग।

JLKM leader Devendra Nath Mahato met Minister Yogendra Prasad and handed over a memorandum of demands


लंबे समय बाद झारखण्ड सरकार उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग शराब का दुकान निजी हाथों देने जा रही है जिसको लेकर झारखंड उत्पाद एवं मद्य निषेध नियमावली – 2025 नई नियम बनाई जा रहा है जिसका आपत्ति चारों तरफ से हो रही है। झारखण्ड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेन्द्र नाथ महतो विभागीय मंत्री योगेन्द्र प्रसाद से मुलाकात कर मांग पत्र सौंपा है। पत्र के माध्यम से उन्होंने बताया कि जेएलकेएम रांची नशामुक्त झारखंड के पक्षधर है, लेकिन झारखंड सरकार नई उत्पाद एवं मद्य निषेध नियमावली – 2025 लागू करने की तैयारी में है, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग द्वारा ड्राफ्ट तैयार की गई नई नियमावली – 2025 के तहत राज्य सरकार के स्वामित्व वाले कंपनी (JSBCL ) झारखंड राज्य विवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड कंपनी केवल शराब का थोक कारोबार करेगी तथा राज्य में शराब का खुदरा कारोबार शराब व्यापारियों के माध्यम से करने का प्रावधान किया गया है। झारखंड सरकार द्वारा संचालित लगभग 1453 खुदरा दुकान में कुछ ही गिने – चुने गैर झारखंडी बाहरी लोग एकाधिकार जमाए हुए हैं ।

झारखंड उत्पाद एवं मद्य निषेध नियमावली – 2025 में निम्न मांग किया गया


1. खुदरा विक्रेता का लाइसेंस केवल खतियानधारी मूल झारखंडी को ही दिया जाय।

2. एक व्यक्ति/ एजेंसी को संपूर्ण झारखंड भर में एक ही लाइसेंस देने का प्रावधान किया जाय।

3. नई नियमावली – 2025 से मॉल , डिपार्टमेंटल स्टोर , मॉडल शॉप में शराब बिक्री हेतु लाइसेंस देने का प्रावधान खत्म किया जाय।


पत्र का प्रतिलिपि सचिव उत्पाद विभाग झारखंड सरकार। आयुक्त उत्पाद विभाग झारखंड। तथा सभी जिला के उत्पाद विभाग उपायुक्त / सहायक आयुक्त / अधीक्षक को दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मांग नहीं माने जाने पर झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा रांची झारखंडियों के हक अधिकार के लिए राजव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

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