आगामी 15 नवंबर को झारखंड अपना 24वां स्थापना दिवस मनाएगा। 15 नवंबर को झारखंड अपना 24वां स्थापना दिवस मनाएगा। पूरे राज्य में सड़कें बैनर-पोस्टर से पट जाएंगी, बड़े-बड़े होर्डिंग टांग दिए जाएंगे और इस बात का दम भरा जायेगा कि भारत के भूखंड पर झारखंड एक युवा राज्य के तौर पर शुमार हो जाएगा। लेकिन इन सबके बीच झारखंड के लोग आज भी पूछते हैं कि हमारा यह राज्य बिहार से अलग ही क्यों हुआ? यह सवाल इसलिए भी पूछा जा रहा है क्योंकि झारखंड अब युवा हो गया है और इस युवा झारखंड में अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि झारखंड में झारखंडी कौन है?
‘पिछले 25 वर्षों में झारखंड की जनता को ठगने का काम किया है’
राज्य की जनता ने जिस भी राजनीतिक दल को इस राज्य के भविष्य की जिम्मेदारी सौंपी है, उन्होंने इस राज्य को और राज्य के साढ़े तीन करोड़ मतदाताओं को सिर्फ और सिर्फ विकास के नाम पर, रोजगार के नाम पर, युवाओं की, जाति के नाम पर, पिछले 25 वर्षों में झारखंड के जनता को ठगने का काम किया है और ऐसे में झारखंड में मौजूदा महागठबंधन की सरकार सत्ता में है और इस सरकार के पांच वर्ष के कार्यकाल में आखिरी मॉनसून सत्र विधानसभा में चल रहा है, यह सत्र 26 जुलाई से शुरू हुई है जो कि 2 अगस्त तक चलेगी।
‘भारतीय जनता पार्टी मुद्दाविहीन हो गई है’
इस सत्र के दौरान सत्ता पक्ष अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान राज्य हित में की गई योजनाओं या यूं कहें कि उपलब्धियों का बखान करने में जुटा है। वही विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी लगातार राज्य के कई मुद्दों पर सत्ता पक्ष पर सवाल उठाती रही है। लेकिन इस सब के बीच में पूरे राज्य में एक सवाल गूंजने लगा है, कि जिस तरह से सदन के भीतर सत्ता पक्ष और विपक्ष के द्वारा जनता के पैसों की जिस तरह से धज्जियां उड़ाई जा रही। क्या राज्य के लोग इसी दिन के लिए सरकार को टैक्स देती है? क्या कोई आम व्यक्ति सरकार के पैसों की इस तरह से धज्जियां उड़ा सकता है और फिर विपक्ष में भारतीय जनता पार्टी है, जिन मुद्दों को लेकर हंगामा कर रही है…एक ड्रामाटिक, एक Negative Narrative हेमंत सोरेन के खिलाफ जो क्रिएट करने की कोशिश कर रही है। क्या सच में….भारतीय जनता पार्टी मुद्दाविहीन हो गई है। जिस तरह से सदन के अंदर हंगामा हो रहा है, ड्रामा किया जा रहा है, इसमें राज्य का क्या हित है? जनता यही सवाल पूछ रही है?
शिखा झा की रिपोर्ट