रांची: भाजपा पहले चंदा लेती फिर धंधा देती है। भाजपा की नीति रही है ‘‘राम नाम जपना पराया माल अपना’’और इसी तर्ज पर भाजपा नेताओं ने गैंग बनाकर इलैक्ट्रॉल बॉण्ड के जरीए रकम की वसूली की है। उक्त बातें कांग्रेस भवन, रांची में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कही।
इस अवसर पर प्रदेश महासचिव सह मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा, संगठन महासचिव अमुल्य नीरज खलखो, मीडिया चेयरमैन सतीश पॉल मुंजनी, प्रवक्ता जगदीश साहु उपस्थित थे।
श्री ठाकुर ने कहा कि 15 फ़रवरी 2024 को इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक घोषित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से मोदी सरकार एसबीआई के माध्यम से – लगातार इस बात को सामने आने से रोकने या देरी करने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि इलेक्ट्रॉल बॉण्ड के घोटाले सामने आने से प्रधानमंत्री का भ्रष्टाचार के मामले में दोहरी नीति का पर्दाफाश न हो।
उन्होंने कहा आश्चर्य की बात यह है कि 20 फ़रवरी 2024 को ईडी, सीबीआई या आईटी विभाग के छापे या जांच के तुरंत बाद 30 कंपनियों से बीजेपी को 335 करोड़ रुपए तक का चंदा मिलना यह साबित करता है कि भाजपा संवैधानिक संस्थाओं को इस्तेमाल डरा-धमका कर हफ्ता वसूली में लगी है। सेबी ने जिन चार कंपनियों को फर्ज़ी (स्मॉल कंपनीज) बताया है, उनसे भाजपा ने 4.9 करोड़ का चंदा क्यों लिया? इन कंपनियों के माध्यम से भाजपा के पास किसका काला धन आया? कोरोना जैसी बड़ी महामारी में मोदी सरकार ने टीके बनाने का एकमात्र अधिकार सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को दिया गया सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी 50 करोड़ का चंदा दिया उससे मन नहीं भरा तो बूस्टर डोज लगवाया जिसका परिणाम यह देखने को मिला रहा है कि युवा और बुजुर्ग को हार्ट अटैक हो रहे हैं मोदी जी को इसका जवाब देना पड़ेगा। 10 वर्ष में एक भी प्रेस वार्ता नहीं किया सिर्फ अपने मन की बात की और अपने मन से मनमानी की
तमाम परंपराओं को दरकिनार करते हुए चुनाव आयोग आनन फानन में आचार-संहिता लागू करने की घोषणा इसलिए कर रही भाजपा के इलेक्ट्रोल बॉन्ड पर भ्रष्टाचार को लेकर जन आंदोलन न हो , ना ही मीडिया में इस पर कोई बहस हो।
इलेक्टोरल बांड से जुड़ी जानकारी सामने आने के बाद यह पहला विश्लेषण है जिसे एसबीआई ने चुनाव के बाद तक स्थगित करने के कई हफ़्तों के प्रयास के बाद कल रात सार्वजनिक किया।।
1,300 से अधिक कंपनियों और व्यक्तियों ने इलेक्टोरल बांड के रूप में दान दिया है, जिसमें 2019 के बाद से भाजपा को 6,000 करोड़ से अधिक का दान शामिल है।
अब तक, इलेक्टोरल बांड का डेटा भाजपा की कम से कम 4 भ्रष्ट नीति को सामने लाता है।
श्री ठाकुर ने कहा कि एसबीआई द्वारा प्रदान किया गया डेटा अप्रैल 2019 से शुरू होता है, लेकिन एसबीआई ने मार्च 2018 में बांड की पहली किश्त बेची। इससे 2,500 करोड़ रुपए के बॉन्ड का डेटा गायब है। मार्च 2018 से अप्रैल 2019 तक इन गायब बांड्स का डेटा कहां है? उदाहरण के लिए, बांड की पहली किश्त में, भाजपा को 95 प्रतिशत धनराशि मिली। भाजपा किसे बचाने की कोशिश कर रही है?
जैसे-जैसे इलेक्टोरल बांड डेटा का विश्लेषण आगे बढ़ेगा, भाजपा के भ्रष्टाचार के ऐसे कई मामले स्पष्ट होते जाएंगे। हम यूनिक (विशिष्ट) बांड आईडी नंबरों की भी मांग करते रहेंगे, ताकि हम दाताओं का प्राप्तकर्ताओं से सटीक मिलान कर सकें।