
रांची : झारखंड में आलिम–फ़ाज़िल डिग्री धारकों के लिए सरकारी नौकरियों का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है। राज्य सरकार द्वारा इन डिग्रियों को पुनः पूर्ण मान्यता दिए जाने के ऐतिहासिक फैसले पर अल्पसंख्यक समुदाय में खुशी की लहर है। इस निर्णय के लिए अल्पसंख्यक समुदाय की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति आभार व्यक्त किया गया है। यह आभार जुनैद अनवर द्वारा सार्वजनिक रूप से प्रकट किया गया।
गौरतलब है कि लंबे समय से झारखंड में आलिम–फ़ाज़िल डिग्री प्राप्त हजारों छात्र सरकारी नौकरियों से वंचित थे। डिग्रियों को मान्यता न मिलने के कारण छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया था। इसका सबसे गंभीर असर सहायक आचार्य भर्ती–2023 पर पड़ा, जिसमें चयनित सैकड़ों आलिम–फ़ाज़िल अभ्यर्थियों की नियुक्ति वर्षों से अटकी हुई थी।
इस गंभीर समस्या को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन ने गंभीरता से उठाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संज्ञान में लाया। मुख्यमंत्री ने मामले को संवेदनशीलता और प्राथमिकता के साथ लेते हुए सभी तकनीकी एवं कानूनी पहलुओं की समीक्षा की और संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
सरकार के इस फैसले से न केवल सहायक आचार्य भर्ती–2023 में चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ है, बल्कि भविष्य में भी आलिम–फ़ाज़िल डिग्री धारक छात्र बिना किसी बाधा के सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकेंगे।
अल्पसंख्यक समुदाय ने इस निर्णय को शिक्षा की समानता, सामाजिक न्याय और प्रतिभा के सम्मान की दिशा में एक मील का पत्थर बताया है। समुदाय का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दूरदर्शी नेतृत्व और अल्पसंख्यकों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण के कारण आज हजारों युवाओं के चेहरे पर उम्मीद और भरोसा लौटा है।
राज्य के अल्पसंख्यक समाज ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करते हुए उम्मीद जताई है कि भविष्य में भी अल्पसंख्यक हितों की रक्षा और कल्याण के लिए सरकार इसी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करती रहेगी।
आलिम–फ़ाज़िल छात्रों के लिए सरकारी नौकरी का द्वार खुलना झारखंड के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज किया जाएगा।
