हाईकोर्ट के फैसले ने साबित कर दिया, भ्रम फैलाने वालों की हार हुई है, पारदर्शी प्रणाली की जीत: विनोद कुमार पांडेय

अभी अभी आदिवासी
Share Now

रांची: झारखंड हाईकोर्ट द्वारा सीजीएल–2023 परीक्षा परिणाम ने यह साबित कर दिया है कि राज्य में एक बार फिर सत्य, नीति और पारदर्शिता की जीत हुई है। न्यायालय ने साफ शब्दों में कहा कि यह मामला सीबीआई जांच के योग्य नहीं है और एसआईटी की निगरानी में चल रही जांच ही पर्याप्त है। इस फैसले ने भाजपा द्वारा महीनों से फैलाए जा रहे भ्रम, आरोप और राजनीतिक साजिशों की हवा निकाल दी है।


भाजपा ने पेपर लीक के नाम पर युवाओं के बीच भय और अविश्वास फैलाने की कोशिश की। सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक जिस पेपर लीक का शोर मचाया गया, अदालत में उसकी एक भी विश्वसनीय दलील पेश न हो सकी। यह साबित हो गया कि युवाओं को गुमराह करना, अस्थिरता फैलाना और भर्ती प्रक्रिया को बदनाम करना ही भाजपा का मूल मकसद था। शिक्षा माफिया के सहारे राजनीति चमकाने की कोशिश करने वाले अब पूरी तरह बेनकाब हैं।


इसके उलट, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार अपने शुरुआती दिन से ही साफ नीयत और पारदर्शी प्रक्रिया पर अडिग रही। मुख्यमंत्री बार-बार कहते रहे नेक इरादा हो तो चौतरफा सफलता मिलती है।” हाईकोर्ट का निर्णय उसी नीयत, सत्य और पारदर्शिता की ठोस पुष्टि है।


अब उन हजारों युवाओं का रास्ता खुल चुका है, जिनकी मेहनत और सपने लंबे समय से निर्णय की प्रतीक्षा में थे। झामुमो उन सभी परीक्षार्थियों को बधाई देता है। यह फैसला केवल युवाओं की जीत नहीं, बल्कि झारखंड की ईमानदार शासन व्यवस्था की भी विजय है।


भाजपा को अब सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए—क्योंकि उसके झूठे आरोपों ने न केवल युवा वर्ग का मनोबल तोड़ा, बल्कि पूरे राज्य को भ्रम के दलदल में धकेलने की कोशिश की।


झारखंड मुक्ति मोर्चा स्पष्ट करता है कि वह हमेशा युवाओं के अधिकार, पारदर्शी भर्ती और निष्पक्ष अवसरों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध था, है और रहेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *