भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम सुनवाई हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए दोनों को नोटिस जारी किया है साथ ही झारखंड सरकार से भी जवाब मांगा है.
दरअसल, दोनों सांसदों पर आरोप है कि उन्होंने देवघर हवाई अड्डा पर सुरक्षा नियों का उल्लंघन किया था. दोनों ने विमान को उड़ाने की इजाजत देने के लिए धमकी दी थी. जिसके बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने प्राथमिकी रद्द करते हुआ कहा कि यह एफआईआर कायम रखने योग्य नहीं है क्योंकि इसमें आईपीसी अपराध लागू नहीं होता है क्योंकि एक विशेष अधिनियम, यानी विमान अधिनियम 1934 है. अधिनियम की धारा 12बी के अनुसार केवल डीजीसीए को शिकायत की जा सकती है. जिसके बाद इस मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख अपनाया.
राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया गया है कि आईपीसी के तहत अपराध, विमान अधिनियम से अलग है इसमें विमान अधिनियम लागू नहीं होगा. हाईकोर्ट ने सामान्य कानून पर प्रचलित विशेष कानून के सिद्धांत को गलत तरीके से तय किया है. जब सुरभा नियमों का उल्लंघन करके हवाई अड्डे की सुरक्षा खतरे में पड़ी हो तो विमान अधिनियम के प्रावधान आईपीसी पर हावी नहीं हो सकते। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करेगा और तय करेगा कि एफआईआर रद्द करने का हाईकोर्ट का फैसला सही था या नहीं।