रांची: मेदांता अब्दुर रज्जाक अंसारी मेमोरियल वीवर्स हॉस्पिटल, रांची ने सड़क दुर्घटना में ब्रेन डैमेज हो चुके झारखण्ड के 35 वर्षीय युवक के मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी की नस का ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई। वह पाॅली ट्राॅमा का शिकार हो गया था। ब्रेन डैमेज होने के साथ उसकी छाती और दोनों पैर की हड्डियां टूट गई थीं। वह पूर्णरूप से बेहोश हो गया था। उसे दुर्घटना के 4 से 6 घंटे के भीतर हाॅस्पिटल में भर्ती करा दिया गया जिसे मेडिकल भाषा में गोल्डन पीरियड कहा जाता है। डाॅक्टरों का मानना है कि गोल्डन पीरियड में मरीज के हाॅस्पिटल में आ जाने से उसके ठीक होने की संभावना अधिक रहती है। वह 30 दिन तक बेहोश रहा और डेढ माह उसे हाॅस्पिटल में रखना पड़ा। पूरी तरह से स्वस्थ हो जानेे के बाद उसे हाॅस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी।
यह जानकारी देते हुए हाॅस्पिटल के न्यूरो क्रिटिकल केयर हेड डाॅ. मनोज कुमार ने बताया कि मरीज के इलाज में ट्राॅमा केयर टीम के न्यूरो सर्जन डाॅ. आनन्द कुमार, प्लास्टिक सर्जन डाॅ. अरबिन्द प्रकाष और हड्डी रोग के डाॅ. नीलेश मिश्र शामिल थे। उन्होंने कहा कि मरीज के आते ही तुरंत उसकी पूरी जांच की गई, तो ब्रेन डैमेज होने के साथ रीढ़ की हड्डी की नस में गड़बड़ी, छाती और दोनों पैर की हड्डियों के बुरी तरह टूटने का पता चला। पहले मरीज के मस्तिष्क का ऑपरेशन कर उसमें जमा खून के थक्कों को हटाया गया, फिर रीढ़ की हड्डी की नस में गड़बड़ी का ऑपरेशन किया गया। इसके बाद छाती और पैरों की टूटी हुई हड्डियों का इलाज कर प्लास्टर चढ़ाया गया।
उन्होंने बताया कि छह घंटे के अंदर आॅपरेशन के साथ अन्य इलाज भी कर दिया गया, लेकिन उसकी बेहोशी 30 दिन के बाद टूटी। मरीज को मस्तिष्क के साथ पूरे शरीर में इतनी जबर्दस्त चोट लगी थी कि वह बेहोश हो गया था। बाद में उसकी प्लास्टिक सर्जरी कर उसे ठीक किया गया। उन्होंने कहा कि इतनी जबर्दस्त चोट में रिकवरी आसान नहीं होती है। चूंकि मरीज के आते ही उसके मस्तिष्क से खून के थक्के निकाल दिये गये तथा रीढ़ की हड्डी की नस में गड़बड़ी ठीक हो जाने से उसके होश में आने में मदद मिली।