झारखंड की सबसे बड़ी समस्या मानव तस्करी बन गई है. लगभग हर महीने 20 से ज्यादा लड़कियां मानव तस्करी का शिकार होती है. इसके सबसे ज्यादा मामले गिरिडीह, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा जिले का है. 15-18 साल की लड़कियों की सबसे ज्यादा तस्करी की जाती है. इनके साथ यौन हिंसा से लेकर घरेलू नौकरानी बनाने का काम किया जाता है मानव तस्करी की शिकार आदिवासी युवतियों को जॉब के नाम पर ले जाया जाता है या तो किडनैप कर लेते हैं. ये बड़े पैमाने पर हो रहा है इसके बावजूद भी राज्य सरकार इस मामले में कोई कार्यवाई नहीं कर रही है. साल 2005 से लेकर अबतक 3839 बच्चे मानव तस्करी के शिकार हुए है. जिनमें 1281 बच्चों का अबतक पता भी नहीं चल पाया है.
चार लाख में किया गया था बच्ची की सौदा
ऐसा ही एक मामला रांची से आया है जहां के सिकिदिरी थाना क्षेत्र की एक नाबालिग को डेढ़ साल पहले राजस्थान में चार लाख रुपये में बेच दिया गया था. जिसका पुलिस ने रेस्क्यू किया है. डेढ़ साल में नाबालिग की शादी कर दी गई थी और उसका छह माह का एक बच्चा भी है. फिलहाल नाबालिग का 164 के तहत बयान दर्ज कर लिया गया है. नाबालिग ने बताया कि वह बकरी चरा रही थी जहां दो लोग आए और बेहोशी की दवा सुंघाकर बेहोश कर उसका अपहरण कर लिया. जब उसे होश आया तो खुद को ट्रेन में पाई. वह कुछ समझ पाती तबतक दोनों ने उसे जान से मारने की धमकी देकर चुप करा दिया और राजस्थान के जयपुर ले जाकर एक सुनसान घर में रखा गया. जिसके बाद उसके मां-बाप नहीं होने की बात कहकर उसके मौसा-मौसी बनकर लाख लाख रुपये लेकर मार्च 2003 में एक व्यक्ति से उसकी शादीकरा दी. उस दौरान नाबालिग की उम्र 22 वर्ष बताई गई. फिलहाल पुलिस ने नाबालिग और उसके पति को रेस्क्यू कर वापस लाई है. इस मामले में पीड़िता की मां ने 2023 में थाने में बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. तत्कालीन थाना प्रभारी सत्यप्रकाश रवि ने सितंबर में प्राथमिकी दर्ज की थी. जिसके बाद पुलिस मामले की जांच में जुट गई.