सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा में समाजसेवी विजय सिंह बने मिसाल, सेवा और समरसता से दिया समाज को एकता का संदेश

धर्म अध्यात्म
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संवाददाता / हजारीबाग: आस्था, अनुशासन और सूर्य उपासना के इस महापर्व छठ पूजा पर हजारीबाग के समाजसेवी विजय सिंह ने सेवा और समर्पण की ऐसी मिसाल पेश की, जिसने समाज को एक सूत्र में बांधने का संदेश दिया.

उन्होंने इस अवसर पर 135 छठ व्रतियों के बीच पूजन सामग्री का वितरण किया और जरूरतमंद व्रतियों की हर संभव सहायता कर लोगों का दिल जीत लिया.


इस अवसर पर विजय सिंह ने कहा कि “छठ सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह समाज में प्रेम, अनुशासन और समानता का पर्व है. और यह जिम्मेदारी और ज्यादा तब बढ़ जाता है. जब समाज में जाति, धर्म और वर्ग के नाम पर दीवारें खड़ी की जा रही हों, तब छठ का यह पर्व उन दीवारों को गिराकर भाईचारे, सौहार्द और सामाजिक एकता की नई मिसाल गढ़ता है.

आगे उन्होंने कहा कि सेवा ही सच्ची उपासना है, और यह कार्य मैं जीवनभर करता रहूंगा यही मेरा संकल्प है.


विदित हो कि हर वर्ष की तरह इस बार भी विजय सिंह ने घाटों की सफाई व्यवस्था, प्रसाद व फल की आपूर्ति, और श्रद्धालुओं की सुविधा के हर छोटे-बड़े कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का भी संकल्प लिया.


हजारीबाग में विजय सिंह को गरीबों और जरूरतमंदों का मसीहा कहा जाता है. सामाजिक कार्यों में उनकी सक्रियता और समर्पण ने उन्हें आमजन का प्रिय बना दिया है.


व्रतियों ने कहा कि विजय सिंह जैसे लोग समाज में सच्ची मानवता के प्रतीक हैं. उनके कार्यों से यह संदेश मिलता है कि छठ पूजा की असली भावना सूरज की आराधना भर नहीं, बल्कि समाज को रोशनी देने वाली सेवा और एकता की भावना है.


विजय सिंह की यह पहल साबित करती है कि जब सेवा, आस्था और एकता एक साथ चलें, तो समाज अपने सबसे सुंदर रूप में खिल उठता है.

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