वो दर्द से चीखती-चिल्लाती है और फिर खामोश हो जाती है. पास से गुजरते लोगों से बच्चे को अस्पताल से दिलाने की गुहार लगा रही है. बच्चें को आखिरी बार देखने की ख्वाहिश लिए दर-दर की ठोकरें खा रही एक मां, रांची के हर अस्पताल का चक्कर लगा रही है. एक उम्मीद लिए, कहीं तो उसका बच्चा दिखेगा. कोई तो मिलेगा जो उसे उसका बच्चा दिला देगा. मामला रांची का है जहां एक अनपढ़ मां 15 दिन अस्पताल में रहने के बाद भी अस्पताल का नाम नहीं जान पाई. अस्पताल ने मां को बच्चे के शव देने के एवज में चार हजार की मांग की है. पैसे नहीं होने की वजह से उसे बच्चे का शव नहीं दिया गया. चार हजार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही मां अस्पताल का रास्ता भूल गई है. पढ़ ना पाने की वजह से अस्पताल का नाम तक याद नहीं कर पा रही है. पूछने पर कुछ नहीं बता पा रही बस सिसक कर रो पड़ रही है. महिला रश्मि गुमला जिले के डुमरी प्रखंड के कोऑठी गांव की रहने वाली है बेटे का शव पिछले 48 घंटे से ज्यादा समय से रांची के किसी अस्पताल में पड़ा हुआ है.
महिला नहीं ढूंढ पा रही अस्पताल
गुरुवार को महिला गुमला डीसी से मिलने की कोशिश की पर मुलाकात नहीं हो पाई.इसके बाद उसने सिविल जज के पास जाकर मदद मांगी.जज ने सदर अस्पताल के डीएस डॉ. अनुपम को उसकी मदद का निर्देश दिया. डॉ. अनुपम रांची के अस्पतालों में संपर्क कर उन्हें मामले से अवगत कराया. महिला का कहना है कि उसके बच्चे को फेफड़े में इंफेक्शन था इलाज के लिए उसने अपनी जमीन बेच कर रांची के ही एक अस्पताल में इलाज कराया. उस अस्पताल में 15 दिन रही लेकिन निरक्षर होने की वजह से अस्पताल का नाम नहीं जान पाई. जब उसके बच्चे की मौत हो गई. अस्पताल ने बच्चे के शव को देने के एवज में चार हजार रुपए मांगे है. उसके पास पैसे नहीं है पति की भी पहले ही मौत हो चुकी है. अब ना ही वो चार हजार इकट्ठा कर पाई और ना ही अस्पताल में ढूढ़ पा रही है.