झारखण्ड के गंभीर मुद्दों पर बात की बजाय इधर-उधर भटका रहे हैं अमित शाह
झारखण्ड सरकार समन्वय समिति के सदस्य, पूर्व मंत्री और झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी अब सांप्रदायिकता, ध्रुवीकरण और भ्रष्टाचार के नायक बन चुके अपने तीन-चार प्रमुख नेताओं के बल पर झारखण्ड में विधानसभा चुनाव को जीतना चाहती है. श्री तिर्की ने कहा कि ऐसा मंसूबा पालनेवाले भाजपा नेताओं को अब यह समझना चाहिये कि झारखण्ड वैसी जमीन है जहाँ सांप्रदायिक सद्भाव और आपस में एकजुटता कूट-कूट कर भरा है और यहाँ भाजपा नेताओं की दाल नहीं गलने वाली चाहे वह अमित शाह हों या फिर शिवराज सिंह चौहान और हेमंत विश्व शर्मा, लक्ष्मीकांत वाजपेई, बाबूलाल मरांडी जैसे भाजपाई नेता.
आज रांची में भाजपा झारखण्ड प्रदेश की विस्तृत कार्यसमिति की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और झारखण्ड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा दिये गये वक्तव्य पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री तिर्की ने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रांची दौरे के दौरान यह भरोसा था कि वे केन्द्र पर बकाया झारखण्ड के उस 1 लाख 34 हज़ार करोड रुपये को झारखण्ड को देने के मामले में कोई ऐसा वक्तव्य देंगे जिससे यहाँ एक सकारात्मक वातावरण पैदा होगा और झारखण्ड के लोगों को यह विश्वास होगा कि भारतीय जनता पार्टी हाल के लोकसभा चुनाव में मिले झटके के बाद अब अपनी गलती को सुधारना चाहती है. लेकिन श्री शाह ने जैसा भाषण दिया है उससे यह स्पष्ट है कि भाजपाई नेता केवल और केवल सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए ही चुनाव जीतना चाहते हैं.
श्री तिर्की ने कहा कि अपनी सरकार की गतिविधियों को देखने की बजाय भाजपा के शीर्ष नेता झारखण्ड की हेमंत सोरेन सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर किसी भी तरीके से आगामी विधानसभा चुनाव को जीतने के लिये जुगत लगा रहे हैं. झारखण्ड की तथाकथित रूप से भ्रष्टाचार में लिप्त हेमंत सोरेन सरकार को उखाड़ फेंकने की बात करनेवाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के वक्तव्य के संदर्भ में वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि श्री चौहान को सबसे पहले अपने प्रदेश के व्यापम घोटाले के संदर्भ में अपनी स्थिति को स्पष्ट करना चाहिये और यह बताना चाहिये कि अबतक व्यापम घोटाले के किसी भी आरोपी के विरुद्ध कोई भी निर्णायक कार्रवाई क्यों नहीं हुई है?
श्री तिर्की ने कहा कि झारखण्ड के लोग सांप्रदायिकता, ध्रुवीकरण और भ्रष्टाचार की बातों से उब चुके हैं और लोग अब वैसे मुद्दे की बात भाजपा नेताओं के मुँह से सुनना चाहते हैं जिससे उन्हें अपनी जमीनी समस्याओं का समाधान मिले साथ ही लोग भी इस बात को समझे कि भाजपा के नेता जमीनी समस्याओं के प्रति सही अर्थो में गंभीर हैं.
असम में 2008 में आदिवासियों के साथ हुई हिंसा और दुर्व्यवहार की चर्चा करते हुए श्री तिर्की ने कहा कि झारखण्ड भाजपा के सह प्रभारी असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वा शर्मा ने अबतक असम में रह रहे जनजातीय समुदाय को आदिवासी अर्थात अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं दिया है और अब भी वहाँ के आदिवासी एमओबीसी (अर्थात प्रवासी अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी में ही माने जाते हैं जबकि यदि श्री शर्मा और भारतीय जनता पार्टी आदिवासियों के हितैषी है तो उन्हें तत्काल इस दिशा में कदम उठाना चाहिये और आसाम में बरसो-बरस से रहनेवाले वहाँ गये आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्ज़ा देना चाहिये.
झारखण्ड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा झारखण्ड की डेमोग्राफी में बदलाव, लव जिहाद, लैंड जिहाद और सीमावर्ती क्षेत्रों में आदिवासियों की घटती जनसंख्या के साथ ही हेमंत सोरेन सरकार पर घोटाला, भ्रष्टाचार, आपराधिक घटनाओं में वृद्धि जैसे आरोप लगाये जाने के मामले में श्री तिर्की ने कहा कि श्री मरांडी को सबसे पहले झारखण्ड की जमीनी समस्याओं की चर्चा करनी चाहिये और जिस शहर में आज विस्तृत कार्यसमिति की बैठक हो रही है उसके मामले में उन्हें यह बताना चाहिये कि यहाँ आदिवासियों की जमीन को क्यों और किसके द्वारा लूटा जा रहा है? वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि आदिवासियों की लूटी जा चुकी ज़मीन को वापस लौटाने के मामले में भाजपा नेता और केन्द्र सरकार क्या सोचती है, इसके मामले में भी भाजपा नेताओं को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये.
श्री तिर्की ने कहा कि जमीनी समस्याओं से दूरी बढ़ने और केवल अपने मतलब की बात करने से सच्चाई नहीं बदलने वाली और न ही आम जनता अपनी समस्याओं से आँखें मूँद सकती है चाहे ऐसा वक्तव्य देने वाले प्रदेश अध्यक्ष श्री मरांडी हों या फिर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, शिवराज सिंह चौहान अथवा हेमंत विश्व शर्मा जैसे लोग. उन्होंने कहा कि सरना कोड सम्बंधित आदिवासियों की राष्ट्रव्यापी माँग के सन्दर्भ में भाजपा नेताओं की ख़ामोशी भी आदिवासियों के प्रति भाजपा की मंशा को उजागर करती है और उन्हें सरना कोड के विषय में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये.