नीड बेस सहायक प्राध्यापकगण विधायक प्रदीप यादव से मिलकर दिया धन्यवाद

झारखंड रांची
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रांची: नीड बेस सहायक प्राध्यापको ने विधानसभा में नीड बेस सहायक प्राध्यापको का समस्या को बहुत सटीक रूप में रखने के लिए विधायक प्रदीप यादव से मिलकर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अबुआ सरकार ही हमारी समस्याओं का समाधान कर सकती है हम विगत सात वर्षों से उच्च शिक्षा में सभी तरह का योगदान दे रहे है अच्छे रिजल्ट भी दे रहे हैं फिर भी कई समस्याएं है। सरकार हमें सम्मान देते हुए पूर्व में हुए नियुक्ति नियमावली मे ससोधन करते हुए हमें पहले समायोजित करें तब बाकी नियुक्ति शुरु करे। माननीय विधायक को अवगत कराते हुए बताया गया कि सन्युक्त बिहार के समय सन 1978, 1980,1982 मे Ranchi university  स्टेच्यूट के माध्यम से कुछ माह कार्य करने के उपरांत ही सेवा नियमितीकरण कि थी जबकि हम सभी MA,M.Com.M.Sc. NET/ JET PHD अहर्ता प्राप्त है सरकार के आदेश से गठित साक्षात्कार बोर्ड जिसमें विश्वविद्यालय के द्वारा गठित कमिटी के द्वारा प्रमाण पत्रों की जांच, बोर्ड द्वारा साक्षात्कार के पश्चात हुई हैं।
माननीय विधायक को अवगत कराते हुए रांची विश्वविद्यालय नीड बेस सहायक प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ. त्रिभूवन कुमार साही ने कहा कि 
राज्य अधीनस्थ विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभाग एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में कई वर्षों से उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के संकल्प संख्या:-04/वि०135-516/2016 , दिनांक:02.03.2017 तथा संकल्प संख्या:- 1040, दिनांक:11.05.2023 के आलोक में राज्य अधीनस्थ विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभाग तथा समस्त अंगीभूत महाविद्यालयों में वर्ष 2017-18 से, स्वीकृत रिक्त पदों पर लगभग 700 नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर वर्षों से कार्यरत हैं। इन सभी विश्वविद्यालयों (RU, KU, VBU, NPU, JWU, SKMU, DSPMU, एवं BBMKU ) तथा इनके अंगीभूत महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 4317 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 2808 पद रिक्त हैं। इन रिक्त पदों को भरने के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अगस्त -अक्टुबर 2023 में असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 2404 पदों की अधियाचना झारखंड लोक सेवा आयोग को प्रेषित की गई है। इसमें राज्य के कुछ जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा का पद सृजन नहीं हुआ जो गंभीर विषय है
इसमें  भी असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति हेतु प्रेषित अधियाचना के 2404 पदों में से लगभग 700 पदों को वर्तमान में कार्यरत ‘नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर’ के लिए सुरक्षित रखा जाए तथा इन पर हम सब ‘नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर’ का  समायोजन/नियमितीकरण किया जाए। स्मरण हो कि वर्तमान सरकार के संकल्प में भी अनुबंध/संविदा कर्मियों के नियमितीकरण को वर्ष 2019 से ही प्राथमिकता दी गई है।

   महाशय, राज्य अधीनस्थ विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभाग सहित सभी अंगीभूत महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरने के लिए एक प्रगतिशील नीति बनाना समय की मांग है। हजारीबाग से आए डॉ संतोष कुमार द्वारा बताया गया कि  विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में ‘नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर’ वर्षों से विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने का कार्य तो कर ही रहे हैं, साथ ही वीक्षण कार्य, मूल्यांकन कार्य, प्रश्न पत्र निर्माण कार्य, चुनाव कार्य, वाह्य परीक्षक, विभागीय कार्य जैसे अन्य कई महत्वपूर्ण दायित्वों का भी कुशलतापूर्वक  निर्वहन कर रहे हैं। परंतु वर्तमान में हम ‘नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर’ को यूजीसी बेसिक पे के समतुल्य अधिकतम 57,700/- का मानदेय भी कुछ शर्तों के साथ (यथा, कक्षा नहीं लेने पर 900/- रुपया प्रति कक्षा कटौती) मिलता है। साथ ही हम सभी ‘नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर’ अनिश्चित एवं असमान मानदेय,  बिना किसी स्वीकृत अवकाश, बगैर मातृत्व हित लाभ, बिना चिकित्सा भत्ता के अनिश्चितता एवं सेवा की असुरक्षा के माहौल में वर्षों से जीवन यापन करने को विवश हैं।

ज्ञातव्य हो कि 5 से 7 वर्षों के  अनुभवी हम  सभी ‘नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर’ को यूजीसी रेगुलेशन तथा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के संकल्प के अनुसार ‘असिस्टेंट प्रोफेसर’ के पद हेतु आवश्यक अर्हताएं प्राप्त हैं। साथ ही हम सभी  स्वीकृत तथा रिक्त पदों के विरुद्ध विधिवत रुप से चयनित होकर वर्षों से कार्यरत हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 (NEP -2020) के क्रियान्वयन  के बाद विद्यार्थी- शिक्षक अनुपात तथा जीईआर को संतुलित करने ,उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कमी को त्वरित रुप से दूर करने तथा शोध कार्य को बढ़ावा देने हेतु ‘नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर’ को नियमितीकरण करते हुए उच्च शिक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थियों के हितार्थ प्रगतिशील नीति बनाने की आवश्यकता है। रांची विश्वविद्यालय कि संजू कुमारी द्वारा माननीय विधायक को बताया गया कि  वर्ष 1978,1980 तथा 1982 में अपने राज्य में 18 माह तथा 24 माह के अस्थाई सेवा में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर का समायोजन/नियमितीकरण किया गया है। जबकि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में दो वर्षों की सेवा के बाद अनुबंध सहायक प्राध्यापकों की सेवा को नियमितीकरण किया गया है। इसके पूर्व भी कई राज्यों में अस्थाई शिक्षकों का स्थायीकरण /समायोजन/नियमितीकरण किया गया है।


   डॉ मुकेश उरांव ने कहा कि हमारी योग्यता, लंबी सेवा अवधि के अनुभव को ध्यान में रखते हुए हमारी सेवाओं की सुरक्षा हेतु कल्याणकारी नीति बनाकर, हम सभी को समायोजन/नियमितीकरण किया जाए, ताकि एक कल्याणकारी राज्य के द्वारा समाज के उच्च शिक्षित वर्ग (नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर) द्वारा वर्षों से की जा रही सेवा को सुरक्षा प्राप्त हो सके। जिससे हम सभी को गरिमामय जीवन यापन करने का अवसर प्राप्त हो सके और बतौर शिक्षक, हम सभी राज्य के उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवा समर्पित भाव से सेवानिवृति तक कर सकें। उपरोक्त बातों को धैर्य पूर्वक सुनते हुए माननीय विधायक सह पूर्व मंत्री श्री प्रदीप कुमार यादव ने कहा कि आपकी मांग जायज है आप एक मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दें हम आपकी मांग को पूर्ण करने हेतु सरकार के समक्ष रख कर दबाव बनाएंगे।

कार्यक्रम में डॉ त्रिभुवन शाही, डॉक्टर मुकेश उरांव, डॉक्टर उषा कीड़ों, डॉ राजश्री इंदौर, डॉक्टर कन्हैयालाल, डॉक्टर अभिषेक गुप्ता, डॉक्टर संतोष कुमार, डॉ संजीव कुमारी, डॉ संजय कुमार, डॉक्टर मनोज कक्षा, डॉ जितेंद्र सिंह, डॉक्टर मल्टी लकड़ा, डॉक्टर श्याम प्रकाश, डॉक्टर मृत्युंजय कोईरी, डॉक्टर विजय कुमार, डॉक्टर कर्म कुमार, डॉक्टर बालापन्ना, डॉक्टर मधुमिता मिंज, डॉक्टर जुरा होरो, डॉक्टर जीतु लाल, डॉक्टर आभा कुमारी, डॉक्टर अश्वनी कुमार सिंह, डॉक्टर सुनीता सिंह, डॉ  करुणा खलखो, डॉक्टर कंचन बरनवाल, डॉक्टर ज्योति चौधरी, डॉक्टर सतीश कुमार, डॉक्टर रोशन कुमार, डॉक्टर संगीता कुमारी, डॉक्टर फरहान रहमान, डॉ रंजीत प्रसाद रजक, डॉक्टर जितेंद्र कुमार, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ मार्गरेट कुजूर, डॉक्टर सुनीता कुमारी, डॉक्टर राजकुमार पाणिग्रही, डॉक्टर मालती बगिसा लकड़ा, डॉक्टर संगीता कुमारी, डॉक्टर मधुमिता मिंज, डॉक्टर नीलू कुमारी, डॉक्टर अनिता कुमारी, डॉ अहिल्या कुमारी, डॉ बिंदेश्वर साहू, डॉक्टर जितेंद्र कुमार, डॉ.शाहिद सहित सैकड़ों प्राध्यापक झारखंड के विभिन्न जिलों से आए थे।

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