एक देश एक चुनाव को आज मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. बुधवार को मोदी की कैबिनेट में इस प्रस्ताव को पेश किया गया था जिसे मंजूरी कर लिया गया है. माना जा रहा है कि अब केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद में लाएगी। जिसे राज्यसभा और लोकसभा में पास किया जाना है. दोनों जगह पास होने के बाद इसमें राज्य की सहमति लेनी पड़ेगी. ये संविधान संशोधन वाला बिल है और इसके लिए राज्यों की सहमति भी जरूरी है. इस रिपोर्ट को कोविंग समिति ने लोकसभा चुनाव से पहले पेश किया था रिपोर्ट में इसके फायदे बताए गए है और इसपर किस तरह अमल किया जा सकता है ये दिया गया है.
कोविंद समिति ने पेश की थी रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ होंगे ही स्थानीय निकाय चुनावों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है. वहीं एक इलेक्टोरल रोल और सिंगल आईडी कार्डके लिए देश के आधे राज्यों की विधानसभाओं से भी प्रस्ताव पारित कराना होगा. इस मामले में जल्दी ही विधि आयोग की ओर से रिपोर्ट पेश की जा सकती है. इस रिपोर्ट को राम नाथ कोविंद के नेतृत्व में पैनल ने 18,626 पेज वाली रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. कोविंद समिति का कहना है कि एक देश एक चुनाव के लिए 18 संवैधानिक संशोधनों की जरूरत होगी, इनमें से ज्यादातर के लिए राज्यों की विधानसभा की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी
बता दें कि पीएम मोदी वन नेशन वन इलेक्शन के फेवर में रही है. इसे लागू करने का वादा भी किया था पीएम ने तीसरी बार शपथग्रहण के बाद अपने संबोधन में वन नेशन वन इलेक्शन का जिक्र किया था उन्होंने जोर देकर कहा था कि लगातार चुनाव देश के विकास को धीमा कर रहे थे। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ मोदी सरकार 3.0 के कार्यकाल के दौरान अगले पांच वर्षों के भीतर लागू किया जाएगा। शाह ने कहा था कि सरकार इस कार्यकाल के भीतर एक राष्ट्र एक चुनाव लागू करने की योजना बना रही है।