सरसों के क्षेत्रफल व उत्पादकता में वृद्धि को लेकर बैठक
रांची: दिव्यायन कृषि विज्ञान केंद्र, रांची के सभागार में सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर, राजस्थान द्वारा झारखण्ड में सरसों फसल के क्षेत्रफल में वृद्धि पर परियोजना के सम्बन्ध में एक बैठक आहूत की गयी। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी, पटना के निदेशक डॉ अंजनी कुमार सिंह शामिल हुए। सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर, राजस्थान के निदेशक डॉ पीके राय के साथ साथ निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक, डॉक्टर ए. के. शर्मा एवं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, कांके के वैज्ञानिक डॉ. सोहन राम विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता रामकृष्ण मिशन आश्रम, मोराबादी, रांची के सचिव स्वामी भवेशानंद जी ने की। कार्यक्रम में झारखंड राज्य के 15 जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों के वरीय वैज्ञानिक सह प्रमुख भी शामिल हुए। बैठक का औपचारिक शुभारम्भ दीप प्रज्वलन द्वारा किया गया।
डॉ. पीके राय ने अपने संबोधन में बताया कि वर्ष 2017-18 में झारखंड के पॉच जिलों में सरसों के उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु योजना की शुरुआत की गई थी, जिसके परिणाम स्वरूप विगत 6 वर्षों में राज्य में सरसों के क्षेत्रफल में 216 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गयी है। इसी को ध्यान में रखते हुए झारखंड राज्य में सरसों फसल के क्षेत्रफल व उत्पादकता में वृद्धि हेतु 15 जिलों को सरसों अनुसंधान निदेशालय द्वारा इससे सम्बन्धित योजना से जोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही साथ रांची, गुमला, चतरा एवं सरायकेला खरसावां कृषि विज्ञान केन्द्रों को सीड हब कार्यक्रम से भी जोड़ा जा रहा है, जिससे राज्य के किसानों को सही समय पर उच्च गुणवत्ता व अधिक उपज देने वाली सरसों की प्रजातियों के बीजों को उपलब्ध कराया जा सके।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. अन्जनी कुमार ने परियोजना के विगत 6 वर्षों की सफलता की प्रशंसा करते हुए बताया कि सभी 15 कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से कुल 1500 किसानों को प्रशिक्षित कर इसमें शामिल किया जायेगा। सभी फसल प्रत्यक्षणों की निगरानी कृषि मैपर एप्लिकेशन के माध्यम से की जायेगी। भविष्य में किसानों को ससमय गुणवत्तायुक्त बीज की उपलप्धता सुनिश्चित करने के क्रम में वर्ष 2024-25 में कुल चार सीड हब की स्थापना की जायेगी जिसके माध्यम से 4000 कुन्तल प्रमाणित बीज का उत्पादन किया जायेगा। बीज उत्पादन का कार्य कृषक भागीदारी द्वारा क्लस्टर के माध्यम से किये जायेंगे। इस योजना में फसलोत्पादन के साथ साथ मूल्यसंवर्धन एवं विपणन को भी बढ़ावा दिया जायेगा।
डा. सोहनराम ने सरसों के क्षेत्र विस्तार हेतु सरसों के क्षेत्रफल विस्तार हेतु मध्यम भूमि व दोन 2 भूमि में धान की सीधी बुवाई कर सही समय पर इसकी कटाई व ससमय सरसों की बुवाई की अनुशंसा की। इसके साथ ही उन्होंने धान की कम अवधि की प्रजातियों के चुनाव पर भी बल दिया।
सचिव रामकृष्ण मिशन, स्वामी भवेशानन्द जी ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में सरसों की जैविक खेती को बढ़ावा देने पर बल दिया जिससे मधुमक्खी पालन को भी बढ़ावा देगा। सभी उपस्थित अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन देते हुए उन्होने कार्यक्रम को समाप्त करने की घोषणा की।