सीओ और जमीन दलालों की खैर नहीं

आदिवासी
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अंचलाधिकारियों और जमीन दलालों की चल-अचल संपत्ति एवं गतिविधियों की गहराई से जांच हो : बंधु तिर्की

कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे की तर्ज पर आदिवासी जमीन लुटती जा रही पर सरकारी अधिकारी खामोश, सख्त कार्रवाई जरूरी

पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि रांची जिले में पिछले दस वर्षों से पदस्थापित सभी अंचलाधिकारियों और उनके नजदीकी संबंधियों-रिश्तेदारों एवं मित्रों की चल-अचल संपत्ति की जांच-पड़ताल गहराई से की जानी चाहिये.

रांची में जमीन दलालों ने कोहराम मचा रखा है और वे लगातार सरकारी जमीन के साथ ही आदिवासियों की जमीन को भी लूटने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बात की जरूरत है कि अब सभी जमीन दलाल और जमीन के व्यवसाय में कार्यरत सभी लोगों की गहराई से जाँच करने के साथ ही उनकी संपूर्ण गतिविधियों पर सरकार कड़ी नजर रखे.


सरकार की ओर से राजस्व वसूली का जिम्मा सभी अंचलों में अंचलाधिकारियों की जिम्मेदारी है लेकिन अपने इस दायित्व के निर्वहन के दौरान वे न केवल सरकार बल्कि आम ग्रामीणों के साथ भी विश्वासघात कर रहे हैं और आदिवासियों एवं मूलवासियों की जमीन व्यापक स्तर पर लूटी जा रही है. श्री तिर्की ने कहा कि सरकारी दस्तावेजों में की जा रही हेर-फेर और छेड़-छाड़ ही से यह पूरी तरीके से प्रमाणित हो गया है कि अंचलाधिकारियों के ऊपर सरकार के संबंधित अधिकारियों का अंकुश नहीं है.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई में कांके में 700 एकड़ से ज्यादा जमीन लूट की बात पता चली है और जिस प्रकार से वहाँ के ग्रामीणों एवं आदिवासियों ने जमीन दलाल कमलेश एवं अन्यान्य के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करवायी है उससे यह पूरी तरीके से स्पष्ट है कि झारखण्ड में आदिवासियों की जमीन लूटने की प्रवृत्ति व्यापक स्तर पर जारी है और इसके कारण भी आदिवासियों को विस्थापन और पलायन का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर उनकी स्थिति नारकीय हो गयी है.

आज के दिन कोई भी आदिवासी जमीन सुरक्षित नहीं है और यह कोई नहीं जानता कि सरकारी दस्तावेजों में हेर-फेर और जालसाजी कर कितनी आदिवासी जमीनों को लूट लिया गया या जमीन की प्रकृति को परिवर्तित कर दिया गया.


झारखण्ड के आदिवासियों के भोलेपन का लाभ उठाकर आदिवासी जमीन को व्यापक स्तर पर लुटा जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश से आकर लोग उन जमीनों को लूट रहे हैं जिससे आदिवासियों का रहन-सहन, खेती और उनका जीवन गहराई से जुड़ा है लेकिन अनेक सरकारी पदाधिकारियों द्वारा भी उन आदिवासियों को कोई संरक्षण नहीं दिया जा रहा है.

आज हजारों आदिवासी परिवार अपनी जमीन के दस्तावेज और कागज लेकर सरकारी अधिकारियों एवं संबंधित विभागों का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. श्री तिर्की ने कहा कि यदि केवल काँके अंचल की 700 एकड़ से अधिक जमीन लूट और उसके दस्तावेजों में छेड़छाड़ की बात सामने आ रही है तो कोई भी व्यक्ति इस बात का अंदाजा आसानी से लगा सकता है कि वास्तविक ज़मीन लूट कितनी ज़्यादा होगी साथ-साथ रांची के अलग-अलग अंचलों में क्या हुआ होगा क्योंकि जमीन लूट का काँके का यह मामला अकेला नहीं है. श्री तिर्की ने कहा कि विशेष रूप से रांची के शहरी क्षेत्र में आदिवासियों का अपनी जमीन से बेदखल होना दुर्भाग्य की बात है.


श्री तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील की है कि वह इस संदर्भ में अविलंब सख्त कार्रवाई करते हुए सभी अंचलाधिकारियों एवं जमीन दलालों की चल-अचल संपत्ति के साथ ही उनकी गतिविधियों की व्यापक स्तर पर जाँच-पड़ताल के लिये संबंधित विभागों एवं अधिकारियों को निर्देशित करें.

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