झारखंड में विधानसभा का चुनावी बिगुल बज चुका है. पहली बार दो चरणों में चुनाव होगा. पहले चरण का मतदान 13 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को होगा. 23 नवंबर को नतीजों की घोषणा कर दी जाएगी. इस चुनाव में शह मात का खेल शुरू हो गया है.झारखंड के सभी क्षेत्रों पर कब्जा जमाने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष ने साम दाम दंड भेद का खेल शुरू कर दिया है. जहां बीजेपी अपने चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ मैदान में उतरी है. वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई में सत्ता पक्ष पूरे दम खम से बाजी मारने में जुटा हुआ है. झारखंड की सत्ता की कुर्सी पर कौन काबिज होगा यह संथाल की सियासी जमीन से तय होगा.
संथाल में झामुमो का कब्जा
संथाल की पांच परगना में शामिल संथाल परगना को सत्ता की सीढ़ी कहा जाता है. इस परगना पर झामुमो का कब्जा है. जिसकी सबसे बड़ी वजह है आदिवासियों वोट बैंक. साढ़े तीन करोड़ की आबाद में 70 लाख की आबादी संथाल क्षेत्र में है. जिसमें 20 लाख आदिवासी समाज से ताल्लुक रखते हैं. यहां की 18 विधानसभा सीट में सात सीट एसटी बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, दुमका और जामा है जबकि एक एससी के लिए आरक्षित सीट देवघर है. एसटी के लिए आरक्षित सभी सीटों पर झामुमो का कब्जा है. वहीं एससी पर भाजपा का कब्जा है.
2014 में बीजेपी संथाल की सबसे बड़ी पार्टी थी
2019 के चुनाव में संथाल परगना की 18 सीटों में नौ सीटों पर कब्जा कर झामुमो सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. वहीं पांच सीटों पर कब्जा कर कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी बन गई है जबकि भाजपा चार सीटों पर सिमट गई. 2014 में संथाल की सीट पर भाजपा का दबदबा था. बीजेपी ने आठ सीटों पर जीत कर सबसे यहां की सबसे बड़ी पार्टी बन गई. वहीं 6 सीट पर कब्जे के साथ झामुमो दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बने. 2009 में झामुमो ने 10 सीट जीते जबकि भाजपा संथाल की सिर्फ दो सीटें जीत पाई. 2005 में भाजपा ने सात सीटें जीती, कांग्रेस ने दो, जदयू को एक और दो निर्दलीय की जीत हुई.
बांग्लादेशी घुसपैठ सबसे बड़ा मुद्दा
संथाल की सीट पर पकड़ बनाने के लिए बीजेपी पूरा जोर लगा दी है. यहां बीजेपी अपनी पकड़ बनाने के लिए कई मुद्दों को उठा रही है जिसमें बांग्लादेशी घुसपैठ सबसे बड़ा मुद्दा है. बीजेपी का कहना है कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठी ने संथाल की डेमोग्राफी बदल दी है. बीजेपी की सरकार बनते ही चुन चुन कर उन्हें निकाला जाएगा. महिला सुरक्षा का मुद्दा भी बीजेपी उठा रही है भाजपा नेताओं का कहना है कि हेमंत की सरकार में महिलाएं असुरक्षित है युवा ठगे हुए महसूस कर रहे हैं. 2019 के चुनाव से पहले हेमंत सोरेन बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी लेकिन आजतक उन्हें बेरोजगारी भत्ता नहीं मिला.
झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार कर रही बीजेपी
वहीं जेएमएम फंड को लेकर केंद्र पर हमलावर है झामुमो की स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन का आरोप है कि केंद्र सरकार झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. खेल के अलावा कई योजना है जिसमें झारखंड को भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. कल्पना सोरेन का कहना है कि बीजेपी झारखंड को मिलने वाले फंड को भाजपा शासित राज्यों को दे दिया. वे नहीं चाहते यहां के लोग शिक्षित हो या खेल में आगे बढ़े. सोरेन ने दावा किया कि केंद्र झारखंड का खनिज चाहता है. लेकिन, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र से राज्य के कोयला रॉयल्टी के बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये मांगते हैं, तो उन्हें जेल भेज दिया जाता है. सोरेन ने भाजपा की गोगो दीदी योजना पर कटाक्ष करते हुए इसे भगवा पार्टी का जुमला करार दिया था.