झारखंड में मानव तस्करी एक बड़ा मुद्दा है हर महीने औसतन 18 लड़कियों की तस्करी की जाती है. जिनकी कोई खबर नहीं होती. इन्हें या तो घरेलू काम के लिए ले जाया जाता है तो कई लड़कियों को वैश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है. ऐसा ही मामला पाकुड़ से सामने आया है जहां से आदिवासी नाबालिग लड़कियों की तस्करी की गई है. जिनके पिता ने उनके सकुशल बरामदी की पुलिस से गुहार लगाई है.
मामले का खुलासा तब हुआ जब डुमरचीर गांव की एक नाबालिग आदिवासी लड़की दिल्ली से भाग कर किसी तरह वापस घर पहुंच गई. नाबालिग युवती एवं उसके परिजनों ने बताया कि बीते 28 अगस्त को हिरणपुर के दलाल के द्वारा काम के बहाने हिरणपुर के कनन अंसारी के द्वारा दिल्ली ले जाकर साहूकारों के हाथ बेच दिया. जहां नाबालिग युवतियों को अलग अलग स्थानों पर रखकर काम करवाया जा रहा है. काम नहीं करने पर उनके साथ मार-पीट की जाती है. इतना ही नहीं उनको काम कराने के लिए गर्म छलनी से शरीर में दागा जाता है. किसी तरह वह दलालों के चंगुल से भागकर वापस आई.
युवती ने कहा कि वह किसी तरह चंगुल से निकली. उसने बताया कि रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद तीन-चार दिन भटकते भटकते दिल्ली में ही तलबडीया गांव के एक व्यक्ति से मुलाकात हुई और उन्होंने मुझे अपने घर तक पहुंचा दिया। जिसके एवज में परिजन से दस हजार रुपया लिया गया. उसके बाद परिजनों ने थाना में आकर बाकी लड़कियों सलामत घर वापसी के लिए थाने में लिखित आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है.