झारखंड में दो चरणों में विधानसभा चुनाव होने वाला है पहला चरण का चुनाव 13 नवंबर को होगा जबकि दूसरे चरण का चुनाव 20 नवंबर को होगा. चुनाव से पहले पाला बदलने का सिलसिला तेजी से चल रहा है. चुनाव के ऐलान से पहले झामुमो के चंपाई सोरेन बीजेपी में शामिल हो गए. तो अब बीजेपी के कई नेता टिकट कटने से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं तो कई नेता झामुमो में शामिल हो गए है. बीजेपी से नाराज होकर जेएमएम में गए गणेश महाली को झामुमो ने सरायकेला से टिकट दिया. महाली के सरायकेला से चुनाव लड़ने से यह सीट हॉट सीट में शुमार हो गई है. यहां दो पार्टी नहीं बल्कि दो बागी प्रत्याशियों के बीच की लड़ाई है. बीजेपी के बागी नेता गणेश महाली झामुमो का गढ़ बचाने की जद्दोजहद में जुटे है तो दूसरी ओर झामुमो के बागी नेता चंपाई सोरेन झामुमो के किला भेद अपनी ही सीट बचाने की कोशिश में लगे हुए है.
1991 से चंपाई का अभेद किला है सरायकेला
सरायकेला में पहली बार झामुमो 1985 में जीती. 1990 में इस सीट से झामुमो से कृष्णा मांडी जीते. 1991 के चुनाव में कृष्णा मांडी सिंहभूम सीट से चुनाव लड़कर सांसद बन गए. 1991 में हुए इस सीट पर उप चुनाव में कृष्णा मार्डी ने अपनी पत्नी मोती मार्डी को झामुमो से उतारा. जिससे नाराज होकर चंपाई सोरेन ने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा, और जीत भी गए. 1995 के चुनाव में चंपाई जेएमएम के टिकट से लड़े और 2000 के चुनाव को छोड़कर 2019 तक लगातार जेएमएम से जीतते रहें. पिछले दो चुनाव से सरायकेला सीट पर चंपाई को बीजेपी के टिकट से गणेश महाली चुनौती दे रहे थे. लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हालांकि वोटों का अंतर काफी कम रहा. लेकिन 2024 के चुनाव से पहले चंपाई बीजेपी में शामिल हो गए. भाजपा उन्हें सरायकेला से उतारा. जिससे नाराज होकर गणेश महाली झामुमो में शामिल हो गए. अब वो झामुमो के टिकट पर चंपाई को चुनौती देंगे. 2024 का चुनाव जीत के लिए नहीं बल्कि अपने अस्तित्व बचाने की लड़ाई है. क्योंकि यह सीट चंपाई और झामुमो का अभेद किला है.