झारखंड अस्तित्व की लड़ रही लड़ाई…!

आदिवासी झारखंड
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कथित तौर पर माने जाने वाले प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के शंखनाद से दो साल पहले ही झारखंड में आजादी का बिगुल फूंका जा चुका था l अंग्रेजो के खिलाफ संगठित लड़ाई कर उन्हे खदेड़ा जा चुका था l इसी की याद में हर साल 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है l इसके बाद 1860 से 75 तक सरदारी लड़ाई चली और 1895 से 1900 तक बिरसा मुंडा ने स्वतंत्रता संग्राम की बागडोर अपने हाथों में ली l

हूल विद्रोह बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के इलाकों में फैला, अंग्रेज अधिकारी मेजर जार्विस ने अपनी किताब में इस युद्ध का जिक्र करते हुए लिखा था, इन विद्रोहियों को समर्पण का अर्थ पता ही नहीं था , जब तक इनके नगाड़े बजते रहते थे ये गोली खाने को तैयार रहते थे l
इस दौरान अबुआ राज्य, करो या मरो, अंग्रेजो हमारी माटी छोड़ो जैसे कई नारे स्थानीय भाषाओं में इलाके की पहचान बने l

आजादी के अमृत काल में झारखंड अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है…!


लेकिन दुर्भाग्य है की आजादी के अमृत काल में फिर एक बार संथाल परगना को अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए कमर कसने की जरूरत आन पड़ी है l इस बार की लड़ाई सात समंदर पार से आए अंग्रेजों से नहीं है l बल्कि कभी इसी देश का हिस्सा रहे उन बांग्लादेशियो से है जिनकी आजादी के लिए भारतीय सेना ने भी अपना बलिदान दिया l

बांग्लादेशी संथाल परगना के भोले भाले आदिवासियों को छल..


आज वही बांग्लादेशी मन में ग्रेटर बांग्लादेश का सपना संजोए भारत की सीमा में प्रवेश कर संथाल परगना के भोले भाले आदिवासियों को छल
रहे हैं l


गौरतलब है की संथाल परगना से बांग्लादेश की दूरी मात्र 3 घंटे से भी कम की है l भाषा बोली, रंग रूप भी एक सी है, ऐसे में थोड़े से संरक्षण पा कर वो आसानी से बॉर्डर पार कर यहां प्रवेश कर जाते हैं और जिहाद की बड़ी साजिश को अंजाम दे रहे हैं l संथाल परगना में लव जिहाद, दुल्हन जिहाद और जमाई जिहाद चरम पर है l झारखंड के छे जिले संथाल परगना के अंतर्गत आते हैं गोड्डा,देवघर,जामताड़ा, पाकुड़,साहिबगंज,दुमका l

इन इलाकों में मूल रूप से जनजातीय समाज रहता आ रहा है l बांग्लादेश की सीमा से मात्र 70km की दूरी में बसे इन इलाकों को ग्रेटर बांग्लादेश या बांग्लादेश एक्सटेंशन बनाए जाने की साजिश चल रही है l बांग्लादेशी घुसपठिये इलाके की आदिवासी लड़कियों से शादी कर उनके जमीनों को हड़प रहे हैं l फर्जी आधार व राशन कार्ड धड़ल्ले से बनाए जा रहे हैं l इलाके के स्कूलों को मदरसों में तब्दील किया जा रहा है साथ ही प्रशासन में अपनी पैठ जमाने की साजिश हो रही है l जिसमे कहना गलत न होगा की तुष्टिकरण और वोट बैंक को साधने के लिए शासन की भी मौन स्वीकृति है l
तभी तो इन इलाकों मे हिन्दू आबादी तेजी से कम हो रही है और मुस्लिम आबादी 126% की अप्रत्याशित उछाल पर है l

अब यह समस्या जटिल रूप ले चुकी है

जानकारों की मानें तो ये एक गहरी साजिश है l संथाल परगना के कई जिलों में बांग्लादेशी कौड़ियों के भाव में जमीन खरीद रहे हैं और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट का खुले तौर पर उल्लंघन हो रहा है l आंकड़े बताते हैं की संथाल के सभी छे जिलों मे 12 लाख से ज्यादा नई आबादी बस गई है, बिना बांग्लादेशी घुसपैठ के आबादी का इतना तेजी से बढ़ना मुमकिन ही नहीं है
13 दिसंबर 2023 को भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर ने एक दस्तावेज जारी किया था जिसमे ये बताया गया है की लगभग 120 से ज्यादा नकली वेबसाइटों के जरिए नकली बर्थ सर्टिफिकेट बनाए जा रहे हैं l


कुल मिला कर बात इतनी समझने की है हमारे राजनीतिक दलों और उनके सूरमाओं को सत्ता का सूख तभी भोग पाओगे जब देश रहेगा l इतिहास के पन्ने पलट कर देखो वतन के साथ गद्दारी करने वाले कभी सत्ता के सूख को नहीं भोग पाए, जो जननी जन्म भूमि का नहीं वह किसी का नहीं l आपको क्या लगता है ऐसी सोच वाली पार्टियों को सत्ता दिला और अपने नीति नियंता बना कर हम क्या सही कर रहे हैं l


जो तुष्टिकरण और सत्ता मोह मे हमारी संस्कृति और विरासत के साथ हमारी भावी पीढ़ी के भविष्य के साथ कुछ वर्षों की सत्ता को पाने के लिए खिलवाड़ कर रहे हैं l

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