शहीदों के सपने युवाओं की भागीदारी से साकार होंगे, संवरेगा झारखंड: अबुआ अधिकार मंच

झारखंड
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बड़ा आंदोलन और बलिदान से मिला है झारखंड, युवा इसे संवारने में आगे आएं: अनुज सिन्हा

रांची : वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अनुज कुमार सिन्हा ने कहा कि लंबे संघर्ष, आंदोलन और शहादत से झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ है। युवाओं को इसे संवारने और हर झारखंडी के हक-अधिकार को सुरक्षित और सुनिश्चित करने के लिए आगे आना होगा। युवा अपनी क्षमता और ऊर्जा का बेहतर उपयोग अपने भविष्य को संवारने के साथ-साथ झारखंड के सतत विकास में लगाएं, यही झारखंड के शहीदों के प्रति सच्चा विश्वास और सम्मान होगा।

वे रांची के मैथन हॉल में अबुआ अधिकार मंच द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी ‘शहीदों का सपना और युवाओं की भागीदारी’ में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने झारखंड आंदोलन, धरती पुत्रों के संघर्ष और शहादत पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि नई पीढ़ी को अलग राज्य गठन के उद्देश्य को समझना चाहिए और विचारों की क्रांति का अलख जगाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं की सामाजिक संगठनों में बढ़ती भागीदारी एक अच्छा संकेत है और इसे और मजबूत करने की आवश्यकता है।

शहीदों के सपने को आत्मसात कर नेतृत्व करें युवा: प्रो. विनय भरत

कार्यक्रम में प्रो. विनय भरत ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड शहीदों के बलिदान की देन है और इसे संवारने की जिम्मेदारी अब नई पीढ़ी पर है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे नेतृत्वकारी भूमिका में आगे आएं और झारखंड के समग्र विकास के लिए सक्रिय योगदान दें। उन्होंने झारखंड में रोजगार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सामाजिक समरसता को मजबूत करने की दिशा में युवाओं की भागीदारी को जरूरी बताया।

राज्य के ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने के लिए आगे आएं युवा: सरजीत मिर्धा

झारखंड आंदोलन के प्रमुख सेनानी सरजीत मिर्धा ने झारखंड आंदोलन के दौरान अपने संघर्ष के अनुभव साझा किए और युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वे राज्य के ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने के लिए सकारात्मक पहल करें। उन्होंने कहा कि झारखंड के जल, जंगल, जमीन की रक्षा के साथ-साथ युवाओं को राज्य में शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसरों के लिए आवाज बुलंद करनी होगी।

युवा अपने हिस्से का योगदान देने के लिए तत्पर हों: डॉ. रामानुजम

इस अवसर पर डॉ. रामानुजम ने भी अपने विचार रखते हुए युवाओं को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि जब युवा झारखंड के शहीदों के संघर्ष को जानेंगे और पढ़ेंगे, तो वे स्वतः अपने राज्य के विकास और समस्याओं के समाधान में योगदान देने के लिए प्रेरित होंगे। उन्होंने कहा कि झारखंड को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए युवाओं को अपनी भूमिका तय करनी होगी।

राजनीतिक दलों ने लड़ने भिड़ने वालों का केवल इस्तेमाल किया – घनश्याम मुंडा

सभी राजनीतिक दलों के लड़ने भिड़ने वालो का केवल इस्तेमाल किया है। उन्हें ना राज्य से मतलब ना राज्यवासियों से। युवाओं को आगे आना होगा तो चुनावी भावना से ऊपर उठकर अपने अधिकार की लड़ाई लड़े।

इस विचार गोष्ठी में हजारों की संख्या में युवा उपस्थित रहे और झारखंड के उज्ज्वल भविष्य के लिए संकल्प लिया। अबुआ अधिकार मंच ने झारखंड के विकास के लिए युवाओं की निर्णायक भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अपने अभियान को और तेज करने का निर्णय लिया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से गौतम सिंह, नीरज वर्मा, घनश्याम मुंडा, विश्वास उरांव, नीतीश सिंह, अभिषेक शुक्ला, अभिषेक झा, अंशुतोष कुमार, विशाल यादव, गुलाबी मुंडा, नेहा महतो, अभिनाश उरांव, सुमित कुमार, मुदस्सर अंसारी, प्रेम, मनजीत, बी.एस. महतो, ऋषभ आनंद, मनजीत साहू, हरिओम महतो, प्रियांशु शर्मा, राजकुमार महतो, गुंचा कमर, रूफी परवीन, मनीषा महतो, ईशा गुप्ता, सुशील, पंचम, साहिल, सिद्धांत, अमन, मुसाबिर, अंकित, राहुल, अदनान, आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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